Friday, January 10, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा के प्रयासों में कटौती के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई)-एडवांस्ड के उम्मीदवारों को दिए जाने वाले प्रयासों की संख्या तीन से घटाकर दो करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष यह याचिका पेश की गई। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को सूचित किया कि यह मामला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली जेईई-एडवांस्ड परीक्षा से संबंधित है, जिसमें प्रयासों की संख्या तीन से घटाकर दो कर दी गई है।

वकील ने अदालत को बताया कि इसी तरह की एक याचिका 10 जनवरी को भी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई थी। इसके बाद अदालत ने निर्देश दिया कि दोनों याचिकाओं को एक साथ जोड़ा जाए।

यह नई याचिका अधिवक्ता संजीत कुमार त्रिवेदी के माध्यम से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह मामला आईआईटी में प्रवेश प्रक्रिया से संबंधित है। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी), जो जेईई-एडवांस्ड परीक्षा का आयोजन करता है, ने छात्रों के लिए पात्रता मानदंड को “मनमाने ढंग से” बदल दिया है।

याचिका के अनुसार, जेएबी ने 5 नवंबर, 2024 की अपनी प्रेस विज्ञप्ति में जेईई-एडवांस्ड परीक्षा के लिए प्रयासों की संख्या तीन निर्धारित की थी। लेकिन 18 नवंबर, 2024 की एक अन्य प्रेस विज्ञप्ति में इसे अचानक बदलते हुए प्रयासों की संख्या घटाकर दो कर दी।

याचिका में तर्क दिया गया है कि पात्रता मानदंड में इस तरह के अचानक बदलाव ने याचिकाकर्ता सहित हजारों छात्रों को प्रभावित किया है, जिससे उन्हें आईआईटी में प्रवेश का एक महत्वपूर्ण अवसर गंवाना पड़ा है।

याचिका में कहा गया है कि पात्रता मानदंड में इस प्रकार का बदलाव प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि यह अधिसूचना वैध अपेक्षा और वचनबद्ध रोक के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। याचिका के अनुसार, यह बदलाव छात्रों के लिए अनुचित और अन्यायपूर्ण है।

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