लोकलसर्किल द्वारा सोमवार को किए गए एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि इस्तेमाल की गई कारों की बिक्री पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का जीएसटी परिषद का हालिया प्रस्ताव औपचारिक और ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
फिलहाल, 42 प्रतिशत उपभोक्ता इस्तेमाल की गई कारों का लेन-देन अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से करते हैं। परिषद के इस निर्णय के बाद यह संख्या और बढ़ने की संभावना है। सप्ताहांत में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) सहित इस्तेमाल किए गए वाहनों पर जीएसटी दर में वृद्धि को मंजूरी दी गई। यह वृद्धि कार्स24, कारवाले जैसे पुनर्विक्रय प्लेटफार्मों पर मार्जिन (खरीद और बिक्री मूल्य के बीच का अंतर) के आधार पर लागू होगी।
हालांकि, जो व्यक्ति पुरानी कार खरीदते या बेचते हैं, उन पर 12 प्रतिशत की ही निचली दर से कर लगाया जाएगा। दूसरी ओर, ओएलएक्स ऑटो जैसी ऑनलाइन क्लासीफाइड वेबसाइटों के माध्यम से किए गए लेन-देन पर केवल 10 प्रतिशत कर लागू होता रहेगा।
सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश उत्तरदाताओं (30 प्रतिशत) ने अपने नजदीकी सामाजिक नेटवर्क के जरिए वाहन बेचे, जबकि 25 प्रतिशत ने डीलरशिप के माध्यम से ट्रेड-इन किया और नया वाहन खरीदा।
ऑनलाइन मार्केटप्लेस या ऑटो डीलरशिप का उपयोग करने पर उपभोक्ताओं ने सही जानकारी की कमी को बड़ी बाधा बताया, खासकर इसलिए क्योंकि इन लेन-देन में बड़ी रकम शामिल होती है।
भारत का संगठित इस्तेमाल की गई कारों का बाजार, जो वर्तमान में $32.44 बिलियन का है, वित्त वर्ष 2028 तक दोगुना होकर $73 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी कारएंडबाइक और दास वेल्टऑटो द्वारा तैयार की गई इंडियन ब्लू बुक रिपोर्ट से मिली है।
बाजार अनुसंधान कंपनी मोर्डोर इंटेलिजेंस के अनुसार, प्री-ओन्ड लग्जरी कारों की मांग साल-दर-साल (YoY) आधार पर लगभग 35-40 प्रतिशत बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि लग्जरी कारों के मालिक अक्सर एक या दो साल बाद अपने वाहनों को बेचकर बेहतर मॉडल में अपग्रेड कर लेते हैं।
स्थानीय डीलर और ऑनलाइन खिलाड़ी जैसे-जैसे बाजार का विस्तार कर रहे हैं, टियर-1 और टियर-2 शहरों से भी मांग बढ़ रही है।
सर्वेक्षण में भारत के विभिन्न जिलों से प्रयुक्त कार खरीदने या बेचने वाले उपभोक्ताओं की 23,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। इनमें से लगभग 45 प्रतिशत उत्तरदाता टियर-1, 23 प्रतिशत टियर-2 और शेष टियर-3, टियर-4 व ग्रामीण जिलों से थे।