Saturday, December 21, 2024

रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने से FX बाजार में RBI का हस्तक्षेप बढ़ा

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद इसे स्थिर बनाए रखने के लिए विदेशी मुद्रा (एफएक्स) बाजार में अपना हस्तक्षेप तेज कर दिया है।

रुपये को संभालने की कोशिश
मुद्रा व्यापारियों ने बताया कि आरबीआई ने राज्य-स्वामित्व वाले बैंकों और कुछ ब्रोकरेज हाउसों के जरिए मुद्रा वायदा और हाजिर बाजार में हस्तक्षेप किया। इसके पीछे उद्देश्य रुपये की अधिक गिरावट को रोकना था।

एक सरकारी स्वामित्व वाले बैंक के मुद्रा डीलर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “आरबीआई को वायदा और हाजिर बाजार दोनों में सक्रिय हस्तक्षेप करते देखा गया, जिससे सुबह से ही रुपये की स्थिति को स्थिर बनाए रखा गया।”

रुपये का रिकॉर्ड निचला स्तर
दोपहर के कारोबार के दौरान, भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.1050 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। दिन की शुरुआत में यह 85.0838 पर था। ब्रोकरेज फर्म के एक अन्य व्यापारी ने बताया कि आरबीआई के समय पर हस्तक्षेप ने रुपये को 85.0818 पर बनाए रखा, जो पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर से थोड़ा बेहतर है।

रुपये पर दबाव के कारण
स्थानीय मुद्रा पर दबाव भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि और व्यापार घाटे में वृद्धि के कारण बढ़ा। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दरों में कम कटौती के संकेत के कारण डॉलर सूचकांक में मजबूती आई, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव पड़ा।

हस्तक्षेप की प्रक्रिया और प्रभाव
केंद्रीय बैंक ने नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड मार्केट और स्पॉट मार्केट दोनों में हस्तक्षेप किया है। इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के रूप में देखने को मिला है।

आमतौर पर, आरबीआई बाजार में डॉलर बेचकर अपनी विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करता है, जिससे स्थानीय मुद्रा को स्थिर रखा जाता है। इसके साथ ही अस्थिरता को कम करने के लिए वायदा बाजार में भी डॉलर की बिक्री की जाती है।

आरबीआई का यह कदम रुपये को और अधिक गिरावट से बचाने और बाजार में स्थिरता लाने के लिए किया गया है।

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