मंगलवार को भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, जब RBI के नए गवर्नर की नियुक्ति और संभावित मौद्रिक नीति परिवर्तनों की अटकलों के बीच ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ीं। शुरुआती कारोबार में स्थानीय मुद्रा 84.80 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गई, जो पिछले सप्ताह के 84.7575 के अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ चुकी थी।
अमेरिकी डॉलर सूचकांक, जो यूरो, स्टर्लिंग, येन और अन्य तीन प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, 0.06% बढ़कर 106.22 पर पहुंच गया।
नए गवर्नर की नियुक्ति
सोमवार को सरकार ने वरिष्ठ सिविल सेवक संजय मल्होत्रा को भारतीय रिजर्व बैंक का अगला गवर्नर नियुक्त किया। मल्होत्रा, जो वर्तमान में वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में कार्यरत हैं, 11 दिसंबर से शुरू होने वाले तीन साल के कार्यकाल के लिए RBI की कमान संभालेंगे।
इस नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा का मुद्रा बाजारों में बड़ा प्रभाव पड़ा। नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड (NDF) बाजारों में USD/INR जोड़ी 84.86 के रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंच गई। इससे पहले, सोमवार को रुपया 5 पैसे की गिरावट के साथ 84.73 डॉलर पर बंद हुआ था।
रुपये को सहारा देने के कदम
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये को स्थिर रखने के लिए कदम उठाए हैं। व्यापारियों का कहना है कि सरकारी बैंकों द्वारा डॉलर की बिक्री इसके संकेत हैं।
विश्लेषकों की राय
नोमुरा के विश्लेषकों का मानना है कि नए गवर्नर के नेतृत्व में मौद्रिक नीति में बदलाव की संभावना है। उन्होंने कहा कि फरवरी में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में ब्याज दरों में कटौती “लगभग तय” मानी जा रही है।
रुपये का भविष्य और बाजार की उम्मीदें
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी ने कहा कि रुपये का परिदृश्य अभी भी विकासशील है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताएं एक बड़ी चिंता बनी हुई हैं।
उन्होंने कहा, “रुपये के 84.50 से 85.00 के दायरे में कारोबार करने की संभावना है, जिसमें मामूली गिरावट हो सकती है। इसके अलावा, आज जारी होने वाले अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।”
मुद्रा बाजार में जारी यह अस्थिरता और RBI की अगली रणनीति पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।