सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। इस गिरावट की वजह से बैंकिंग, वित्तीय और आईटी क्षेत्र के शेयरों में नुकसान हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले निवेशकों के बीच सावधानी का माहौल बना हुआ है, साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की संभावनाओं ने बाजार को और कमजोर कर दिया।
बीएसई सेंसेक्स में 1,409 अंकों की गिरावट हुई, जिससे यह 78,316 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 में 454 अंकों की गिरावट हुई और यह 23,850 पर बंद हुआ। इस गिरावट से बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का कुल बाजार मूल्य 8.44 लाख करोड़ रुपये घटकर 439.66 लाख करोड़ रुपये रह गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और सन फार्मा जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट का असर सबसे ज्यादा पड़ा। एलएंडटी, एक्सिस बैंक, टीसीएस और टाटा मोटर्स जैसे बड़े शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई।
बाजार में गिरावट के मुख्य कारण:
- अमेरिकी चुनाव को लेकर अस्थिरता:
5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कड़ी टक्कर है, जिससे निवेशक असमंजस में हैं। इस चुनाव के नतीजे भारतीय बाजार पर भी असर डाल सकते हैं। अगर हैरिस की जीत होती है, तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को और कम कर सकता है, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी ऐसा ही कर सकता है। इससे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को फायदा होगा। दूसरी ओर, ट्रम्प की जीत से अमेरिकी ब्याज दरें ऊँची रह सकती हैं, जिससे आरबीआई भी दरों को ऊँचा रख सकता है। - फेडरल रिजर्व की बैठक:
7 नवंबर को यू.एस. फेडरल रिजर्व की पॉलिसी बैठक होनी है, जिससे भी बाजार में चिंता का माहौल है। इस बैठक में ब्याज दर में कटौती की संभावना है, जिससे विदेशी निवेश भारत में बढ़ सकता है। हालांकि, फेड के निर्णय तक निवेशक सतर्क बने रहेंगे। - दूसरी तिमाही के कमजोर नतीजे:
भारतीय कंपनियों की दूसरी तिमाही की आय उम्मीदों से कम रही है, जिससे निवेशकों की भावना कमजोर हो गई है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि निफ्टी की आय में गिरावट के कारण आगे भी बाजार दबाव में रह सकता है। इससे विदेशी निवेशकों (एफआईआई) के भारतीय शेयरों को बेचने की संभावना बढ़ गई है, जिससे बाजार में और गिरावट हो सकती है। - तेल की कीमतों में वृद्धि:
ओपेक+ (OPEC+) ने हाल ही में घोषणा की कि वह दिसंबर में अपने उत्पादन को बढ़ाने की योजना को एक महीने के लिए टाल देगा। इसके बाद सोमवार को तेल की कीमतों में 1 डॉलर से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई। ब्रेंट क्रूड की कीमत 74.28 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई, जबकि यूएस क्रूड की कीमत 70.69 डॉलर प्रति बैरल पर थी।
बाजार की अस्थिरता बढ़ने के कारण निवेशक फिलहाल सावधान बने रहेंगे।