2023-24 में भारत का अपने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) साझेदार यूएई से सोने और चांदी का आयात 210 प्रतिशत बढ़कर 10.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है। आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने बताया कि सोने और चांदी के आयात में यह वृद्धि भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) के तहत भारत द्वारा दी गई आयात शुल्क रियायतों की वजह से है।
भारत यूएई से असीमित मात्रा में चांदी के आयात पर 7 प्रतिशत टैरिफ रियायत और 160 मीट्रिक टन सोने पर 1 प्रतिशत रियायत देता है। CEPA पर फरवरी 2022 में हस्ताक्षर किए गए थे और इसे मई 2022 में लागू किया गया।
इसके अलावा, भारत ने गिफ्ट सिटी में इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX) के माध्यम से निजी फर्मों को यूएई से आयात करने की अनुमति दी है। पहले, केवल अधिकृत एजेंसियां ही ऐसा आयात कर सकती थीं।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में यूएई से भारत का कुल आयात 53.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2024 में 9.8 प्रतिशत घटकर 48 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया। हालांकि, सोने और चांदी का आयात 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 10.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। अन्य सभी उत्पादों का आयात 25 प्रतिशत घटकर 49.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 37.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यूएई से सोने और चांदी का मौजूदा आयात टिकाऊ नहीं है क्योंकि यूएई सोने या चांदी का खनन नहीं करता है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत में सोने, चांदी और आभूषणों पर 15 प्रतिशत के उच्च आयात शुल्क को 5 प्रतिशत करने पर विचार किया जाना चाहिए। इससे तस्करी और अन्य दुरुपयोग में कमी आएगी।
श्रीवास्तव ने कहा कि सोने और चांदी के आयात में वृद्धि से केवल कुछ आयातकों को ही लाभ होता है। उन्होंने सीईपीए के तहत रियायती शुल्क दरों का पुनर्मूल्यांकन और संशोधन करने का सुझाव दिया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सोने के समान चांदी के लिए भी वार्षिक आयात कोटा (टैरिफ दर कोटा) लागू किया जाना चाहिए। भारत को सोने और चांदी के आयात में दुबई स्थित रिफाइनर द्वारा दावा किए गए मूल्य संवर्धन की सख्ती से जांच करनी चाहिए।
इसके अलावा, गिफ्ट सिटी में इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX) के नियमों को कड़ा करने की आवश्यकता है। आयात में वृद्धि से चालू खाता घाटा बढ़ता है और सोना और चांदी वित्तीय साधनों की तरह काम करते हैं, इसलिए इन्हें एफटीए में शामिल करने से बचना चाहिए।
भारत ने कई एफटीए और डीएफटीपी (ड्यूटी-फ्री टैरिफ प्रेफरेंस) योजना के तहत इन वस्तुओं के लिए टैरिफ रियायतें दी हैं, इसलिए एक व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएई से चांदी का आयात 2023-24 में कई गुना बढ़कर 1.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2022-23 में मात्र 29.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। भारत सीईपीए के तहत 8 प्रतिशत शुल्क लगा रहा है जबकि अन्य देशों से 15 प्रतिशत शुल्क लिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 24 में भारत को 1,010 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ।
यूएई केवल बड़ी चांदी और सोने की छड़ें आयात करता है, उन्हें पिघलाता है और निर्यात के लिए चांदी के दानों और कच्चे सोने में परिवर्तित करता है। वैश्विक रिफाइनरों के साथ जांच से पता चला है कि इस प्रक्रिया में मूल्य संवर्धन 1 प्रतिशत से भी कम है, जबकि एफटीए के तहत 3 प्रतिशत की आवश्यकता है।
भारत ने 1 प्रतिशत टैरिफ रियायत के साथ यूएई से सालाना 200 मीट्रिक टन सोना आयात करने पर सहमति व्यक्त की है। इसके कारण वित्त वर्ष 23 में 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 7.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिससे भारत को 635 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ।
इसी तरह, भारत का आभूषण आयात वित्त वर्ष 23 में 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 187.6 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 3.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। यूएई से आयात 347 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में 1.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।