Friday, January 10, 2025

2024 बना पृथ्वी का अब तक का सबसे गर्म वर्ष, जलवायु संकट गंभीरता की सीमा पर

शुक्रवार को समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने मौसम निगरानी एजेंसियों का हवाला देते हुए बताया कि 2024 पृथ्वी के इतिहास में अब तक का सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया है। इसने जलवायु परिवर्तन की एक महत्वपूर्ण सीमा को पार कर लिया है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

यह खबर ऐसे समय में आई है जब अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में, विशेष रूप से लॉस वेगास के आसपास, घातक जंगल की आग ने कहर बरपाया है। यह क्षेत्र अमेरिका के प्रसिद्ध फिल्म उद्योग ‘हॉलीवुड’ का घर भी है।

वैज्ञानिकों की चेतावनी

जॉर्जिया विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान के प्रोफेसर मार्शल शेफर्ड ने एपी से बातचीत में कहा,

“यह पृथ्वी के डैशबोर्ड पर एक चेतावनी प्रकाश की तरह है, जिसे अनदेखा करना विनाशकारी हो सकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि,

“तूफान हेलेन, स्पेन में बाढ़, और कैलिफ़ोर्निया में जंगल की आग जैसे हाल के चरम घटनाक्रम इस खतरनाक जलवायु बदलाव के स्पष्ट लक्षण हैं। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो हमें और भी कठिन परिदृश्य देखने पड़ सकते हैं।”

रिकॉर्ड तापमान

वैश्विक औसत तापमान ने 2024 में पिछले रिकॉर्ड को आसानी से पार कर लिया। यह तापमान 1800 के दशक के उत्तरार्ध से 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फ़ारेनहाइट) की उस सीमा से अधिक हो गया है, जिसे 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में सुरक्षित सीमा के रूप में निर्धारित किया गया था।

यूरोपीय आयोग की कोपरनिकस जलवायु सेवा, यूनाइटेड किंगडम का मौसम विभाग, और जापान की मौसम एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार:

  • यूरोपीय टीम ने 1.6 डिग्री सेल्सियस (2.89 डिग्री फ़ारेनहाइट) की वृद्धि की गणना की।
  • जापानी एजेंसी ने 1.57 डिग्री सेल्सियस (2.83 डिग्री फ़ारेनहाइट) तापमान वृद्धि मापी।
  • ब्रिटिश टीम ने 1.53 डिग्री सेल्सियस (2.75 डिग्री फ़ारेनहाइट) की बढ़ोतरी दर्ज की।

जलवायु संकट के गंभीर संकेत

यूरोपीय संघ की एजेंसी ने चेतावनी दी है कि वैश्विक तापमान “ऐसे स्तर पर पहुँच गया है, जिसे आधुनिक मानव ने पहले कभी अनुभव नहीं किया।” हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि पेरिस समझौते में तय 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को स्थायी रूप से पार कर लिया गया है। लेकिन यह स्पष्ट है कि यह खतरनाक रूप से करीब आ चुकी है।

जंगल की आग और जलवायु परिवर्तन

लॉस एंजिल्स में जंगल की आग ने हजारों इमारतों को नष्ट कर दिया है और हजारों लोगों को अपने घरों से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कैलिफ़ोर्निया की आग को सबसे “विनाशकारी” घटनाओं में से एक बताया। उन्होंने कहा,

“यह जलवायु परिवर्तन के वास्तविक होने का स्पष्ट प्रमाण है। हमें तुरंत कार्य करना होगा।”

पेरिस जलवायु समझौते का महत्व

2015 में, लगभग 200 देशों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना आवश्यक है। हालांकि, हाल के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया इस लक्ष्य को प्राप्त करने से काफी दूर है।

कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा,

“हम 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने के कगार पर हैं। अगर अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर होंगे।”

निष्कर्ष

जलवायु संकट अब महज एक भविष्यवाणी नहीं, बल्कि एक सच्चाई बन चुका है। जंगल की आग, बाढ़, और अत्यधिक गर्मी जैसी आपदाएँ यह दर्शाती हैं कि तत्काल और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।

समय की माँग है कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को गंभीरता से लिया जाए और विश्व भर में एकजुट होकर जलवायु संकट से निपटने के प्रयास किए जाएं।

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