हाल ही में अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लॉस एंजिल्स में अप्रवासी विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए 2,000 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती की। यह कदम कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम द्वारा “राज्य की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन” बताया गया और उन्होंने तुरंत इसे वापस लेने की मांग की।
यह तैनाती तब हुई जब लॉस एंजिल्स में सप्ताहांत के दौरान संघीय अप्रवासी छापों के विरोध में व्यापक प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में दर्जनों लोगों की गिरफ्तारी हुई, प्रदर्शनकारियों ने फ्रीवे को अवरुद्ध किया और स्वचालित कारों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया। धीरे-धीरे यह विरोध पूरे शहर में फैल गया और पैरामाउंट और कॉम्पटन जैसे क्षेत्रों तक पहुँच गया।
यह कदम इसलिए खास है क्योंकि यह एक दुर्लभ घटना है जब राष्ट्रपति ने गवर्नर की अनुमति के बिना नेशनल गार्ड की तैनाती की। पिछली बार ऐसा लगभग 60 साल पहले हुआ था।
1965 का ऐतिहासिक संदर्भ
मार्च 1965 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने अलबामा में नागरिक अधिकारों के लिए हो रहे “सेल्मा से मोंटगोमरी मार्च” से ठीक पहले नेशनल गार्ड की तैनाती की थी। यह मार्च अश्वेत अमेरिकियों को मतदान के अधिकार से वंचित करने के विरोध में आयोजित किया गया था।
हालाँकि सेल्मा शहर की आधी से अधिक आबादी अश्वेत थी, फिर भी केवल लगभग 2% लोग ही मतदाता के रूप में पंजीकृत थे। इसका कारण थे भेदभावपूर्ण कानून, साक्षरता परीक्षण और स्थानीय अधिकारियों की धमकी और हिंसा।
इस आंदोलन की चिंगारी उस समय भड़की जब एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान जिमी ली जैक्सन नाम के युवा अश्वेत व्यक्ति को एक राज्य सैनिक ने गोली मार दी थी। इसके बाद मार्टिन लूथर किंग जूनियर और अन्य नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने राज्य की राजधानी मोंटगोमरी तक मार्च निकालने का निर्णय लिया।
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था और स्थिति विस्फोटक हो चुकी थी। इस स्थिति को नियंत्रित करने और प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति जॉनसन ने नेशनल गार्ड को तैनात करने का आदेश दिया। उन्होंने यह कदम तब उठाया जब तत्कालीन अलबामा के गवर्नर जॉर्ज वालेस — जो प्रमुख अलगाववादी माने जाते थे — ने इस मामले में कोई सहायता देने से इनकार कर दिया।
जॉनसन ने अपने इस फैसले को यह कहते हुए उचित ठहराया कि उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि अमेरिकी नागरिक “बिना किसी चोट या जान के नुकसान के सेल्मा से मोंटगोमरी तक शांतिपूर्वक मार्च कर सकें” — जैसा कि न्यू यॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट किया।
आज की स्थिति: इतिहास की पुनरावृत्ति?
डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बिना राज्य के गवर्नर की अनुमति के नेशनल गार्ड की तैनाती करना 1965 के बाद एक असामान्य और विवादास्पद कदम है। आमतौर पर, नेशनल गार्ड की तैनाती राज्य के गवर्नर के अनुरोध पर ही होती है, क्योंकि वे उन सैनिकों के कमांडर-इन-चीफ होते हैं।
ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा कि कैलिफोर्निया के गवर्नर और लॉस एंजिल्स के मेयर को “उनके द्वारा किए गए भयानक कार्यों” और “एलए में चल रहे दंगों” के लिए जनता से माफी माँगनी चाहिए। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को “उपद्रवी और विद्रोही” बताया और व्यंग्य करते हुए कहा, “मास्क मत पहनना याद रखना!”
वहीं, गवर्नर न्यूजॉम ने राष्ट्रपति के इस कदम को “अनावश्यक उकसावा” कहा और तुरंत इसे वापस लेने की मांग की। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने गवर्नर की आलोचना करते हुए कहा कि “कैलिफोर्निया के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से छोड़ चुके हैं और अपने निवासियों की सुरक्षा में विफल रहे हैं।”
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के एक तथ्य पत्र के अनुसार, “राष्ट्रपति शायद ही कभी राज्यपाल की सहमति के बिना किसी राज्य या क्षेत्र के नेशनल गार्ड को संघीय नियंत्रण में लेते हैं।”
यह घटनाक्रम अमेरिका में संघीय बनाम राज्य अधिकारों को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस को एक बार फिर जीवंत करता है। 1965 की तरह ही, आज भी यह सवाल उठता है कि कब और किस आधार पर एक राष्ट्रपति को किसी राज्य में सेना तैनात करने का अधिकार होना चाहिए — और क्या यह संविधानिक संतुलन का उल्लंघन है?