Sunday, February 23, 2025

हिंदी तमिल को वैसे ही मिटा देगी जैसे उसने उत्तर भारतीय भाषाओं को मिटा दिया है

तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि हिंदी तमिल को उसी तरह खत्म कर देगी जैसे उसने उत्तर भारतीय भाषाओं को नष्ट किया है।

वे केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु के लिए धन आवंटन से इनकार करने और शिक्षा निधि जारी न करने के विरोध में इंडिया ब्लॉक पार्टियों द्वारा आयोजित प्रदर्शन में बोल रहे थे। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर राज्य के अधिकारों का बार-बार अतिक्रमण करने का आरोप लगाया।

उत्तर भारत में हिंदी के प्रभाव का उदाहरण

उदयनिधि स्टालिन ने कहा,
“हिंदी ने उत्तर भारत की कई स्थानीय भाषाओं जैसे राजस्थानी, हरियाणवी, भोजपुरी और अन्य बिहारी भाषाओं को खत्म कर दिया है। इन राज्यों में अब हिंदी ही प्राथमिक भाषा बन गई है। अगर तमिलनाडु में भी हिंदी को लागू किया गया तो यहां भी यही होगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि आज विदेशों में और इसरो जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में काम कर रहे 99% तमिल विद्यार्थी सरकारी स्कूलों से पढ़े हुए हैं, जहां हिंदी नहीं पढ़ाई गई थी।

तमिलनाडु में हिंदी विरोध का इतिहास

उदयनिधि स्टालिन ने आगे कहा कि तमिलनाडु में पिछले 100 वर्षों में दो बड़े आंदोलनों के प्रमुख कारण रहे हैं—एक शिक्षा के लिए और दूसरा हिंदी थोपने के खिलाफ।

उन्होंने तमिल भाषा के लिए बलिदान देने वाले शहीदों को याद करते हुए कहा,
“थलामुथु, नटराजन और कीझापालुर चिन्नासामी जैसे वीरों ने राजनीति के लिए नहीं, बल्कि तमिल भाषा की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। हजारों लोग हमारी भाषा के लिए बलिदान देने को तैयार हैं।”

उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्य के लिए फंड रोकने का सिलसिला जारी रहा तो यह विरोध और तेज होगा और पूरे राज्य में फैल जाएगा।

भाजपा सरकार पर निशाना

उदयनिधि स्टालिन ने अपने भाषण में कहा,
“अगर भाजपा सरकार हमें धमकाने की कोशिश करती रही, तो ‘मोदी वापस जाओ’ विरोध प्रदर्शन जल्द ही ‘मोदी बाहर जाओ’ के रूप में बदल जाएगा। यह तमिलनाडु है—पेरियार, अन्ना, कलैगनार और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की भूमि, जो आत्म-सम्मान की भूमि है।”

‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ नीति का विरोध

विरोध प्रदर्शन में शामिल वीसीके अध्यक्ष थोल थिरुमावलवन ने कहा कि भाजपा सरकार हिंदी को थोपकर ‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ की नीति लागू करना चाहती है। उनका इरादा हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने का है, जिसका तमिलनाडु पूरी ताकत से विरोध करेगा।

विरोध प्रदर्शन में शामिल प्रमुख नेता

इस विरोध प्रदर्शन में कई प्रमुख विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए, जिनमें शामिल हैं—

  • द्रविड़ कड़गम के अध्यक्ष के. वीरमणि
  • डीएमके कोषाध्यक्ष टी.आर. बालू
  • टीएनसीसी अध्यक्ष के. सेल्वापेरुन्थागई
  • एमडीएमके नेता वाइको
  • सीपीएम राज्य सचिव पी. शनमुगम
  • सीपीआई राज्य सचिव आर. मुथरासन
  • तमिझागा वाझवुरीमई काची के संस्थापक टी. वेलमुरुगन
  • केएमडीके अध्यक्ष ई.आर. ईश्वरन

इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से विपक्षी दलों ने तमिल भाषा की सुरक्षा और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाई।

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