Saturday, June 7, 2025

हाउसफुल 5 रिव्यू : बेजान कहानी , बेहुदा जोक्स और अतार्किक घटनाक्रम से भरी एक थका देने वाली शुरुआत

फिल्म का पहला भाग देखने के बाद जो निष्कर्ष निकलता है, वह यही है – हाउसफुल 5 न तो गुदगुदाती है, न ही बांधे रखती है।

फिल्म की शुरुआत एक कथित हास्य कहानी से होती है जो अरबपति रंजीत डोबरियाल (जिनकी भूमिका में रंजीत नजर आते हैं) के इर्द-गिर्द घूमती है। वह अपने 100वें जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए एक भव्य क्रूज़ पार्टी का आयोजन करता है, लेकिन उत्सव शुरू होने से पहले ही उसकी मृत्यु हो जाती है।

रंजीत मरने से पहले एक वसीयत छोड़ता है, जिसमें लिखा होता है कि उसका उत्तराधिकारी उसकी पहली पत्नी से जन्मा बेटा जॉली होगा। इसके बाद सभी की नजरें जॉली के आने पर टिक जाती हैं—विशेष रूप से रंजीत के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (चित्रांगदा सिंह, श्रेयस तलपड़े और डिनो मोरिया) और उसकी दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बेटा देव (फरदीन खान)।

लेकिन कहानी तब अजीब मोड़ लेती है जब एक नहीं, बल्कि तीन जॉली सामने आ जाते हैं—जलबुद्दीन (रितेश देशमुख), जलभूषण (अभिषेक बच्चन), और जूलियस (अक्षय कुमार)। असली जॉली कौन है? कौन बनेगा रंजीत के साम्राज्य का वारिस? और इसी बीच, एक रहस्यमयी हत्यारा भी क्रूज़ पर मौजूद है, जिसकी मंशा साफ नहीं है।

पहले भाग में क्या है?
कुछ पुराने Housefull फिल्मों के रेफरेंस और गिने-चुने परिस्थितिजन्य हास्य को छोड़कर, चुटकुलों की भरमार फिल्म को बोझिल बना देती है। कई जोक्स दोहरे अर्थ वाले हैं, जिनका स्तर बेहद घटिया है और बार-बार हँसी की जबरदस्ती कोशिश की गई है।

महिलाओं के किरदारों की बात करें तो, विशेष रूप से सौंदर्या शर्मा को बेहद ऑब्जेक्टिफाई किया गया है—कोई ठोस डायलॉग नहीं, बस शरीर प्रदर्शन। एक दृश्य में जैकलीन फर्नांडीज, सोनम बाजवा और नरगिस फाखरी एक सुरंगनुमा रास्ते से गुजरती हैं, जिसका कैमरा ऐंगल महज उनके फिगर को दर्शाने के लिए होता है।

संजय दत्त और जैकी श्रॉफ की एंट्री फिल्म में थोड़ी जान डालती है, लेकिन उनकी दमदार उपस्थिति भी खराब लेखन की भेंट चढ़ जाती है। उनकी कहानियों में रहस्य होने के बावजूद, हास्य का कोई मज़बूत असर देखने को नहीं मिलता।

अभी तक फिल्म का निष्कर्ष?
इंटरवल तक फिल्म पूरी तरह से भ्रमित करती है। दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाते हैं, “आखिर चल क्या रहा है?” मज़ेदार कहानी और हास्य की जो उम्मीद थी, वह पूरी नहीं होती।

अब सारी उम्मीद दूसरे भाग पर टिकती है, खासकर उस सीरियल किलर एंगल पर, जो अगर सही ढंग से लिखा गया हो, तो शायद फिल्म को थोड़ा रोमांचक बना सके।

फिलहाल के लिए, हाउसफुल 5 इंटरवल के बाद तक एक थकाऊ, गड़बड़झाला जैसा अनुभव रही है।
क्या दूसरा भाग कुछ सुधार लाएगा? जानने के लिए बने रहिए – जल्द ही पेश होगी हमारी पूरी समीक्षा!

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