Thursday, July 31, 2025

सेबी के नए नियम से BSE के शेयर में 15% तक गिरावट, जानें वजह

बाजार नियामक सेबी द्वारा डेरिवेटिव अनुबंधों की एक्सपायरी तिथि (समाप्ति तिथि) में बदलाव किए जाने के बाद BSE के शेयरों में गिरावट देखने को मिली। बुधवार को बाजार खुलते ही BSE के शेयर में 5% से ज्यादा की गिरावट आई और दिन में 15% तक नीचे चला गया।

क्या है एक्सपायरी तिथि में बदलाव?

BSE और NSE दोनों एक्सचेंजों ने अपने डेरिवेटिव अनुबंधों की समाप्ति तिथि में बदलाव की घोषणा की है।

  • BSE ने कहा कि 1 सितंबर 2025 से उसके साप्ताहिक और मासिक अनुबंध अब गुरुवार को समाप्त होंगे, जो पहले मंगलवार को होते थे।
  • दूसरी ओर, NSE ने कहा कि उसके साप्ताहिक और मासिक अनुबंध अब मंगलवार को समाप्त होंगे, जो पहले गुरुवार को होते थे।

इसका मतलब है कि BSE और NSE ने एक-दूसरे के एक्सपायरी दिन आपस में बदल लिए हैं।

इस बदलाव से बीएसई को नुकसान क्यों हो सकता है?

विश्लेषकों का मानना है कि एक्सपायरी दिन बदलने से BSE की ट्रेडिंग वॉल्यूम यानी लेनदेन की मात्रा कम हो सकती है, जिससे उसकी आमदनी और बाजार में पकड़ घट सकती है।

  • मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) के अनुसार, BSE की प्रीमियम टर्नओवर (प्रति दिन का उच्च मूल्य लेनदेन) में मई 2025 में 22.6% हिस्सेदारी थी।
  • अब, एक्सपायरी दिन बदलने से यह हिस्सेदारी 350-400 बेसिस पॉइंट (यानी लगभग 3.5% से 4%) कम हो सकती है।

भविष्य के अनुमान क्या हैं?

MOFSL ने कहा है कि इस बदलाव के कारण बीएसई का औसत दैनिक टर्नओवर:

  • वित्त वर्ष 2026 में ₹15,500 करोड़ से घटकर ₹13,700 करोड़ हो सकता है
  • वित्त वर्ष 2027 में ₹19,000 करोड़ से घटकर ₹15,700 करोड़ रह सकता है

इसकी वजह से कंपनी की कमाई (Earnings) के अनुमान में 9% से 12% तक की कटौती की गई है।

बाजार की प्रतिक्रिया क्या रही?

  • BSE का शेयर बुधवार को ₹2525 पर खुला और इंट्राडे में ₹2500 तक गिर गया, जो पिछले दिन के ₹2664 के मुकाबले 5% से ज्यादा की गिरावट है।
  • दिन के अंत में थोड़ा सुधार हुआ लेकिन फिर भी शेयर में 1% से ज्यादा की गिरावट रही।

क्या कह रहे हैं अन्य विश्लेषक?

  • जेफरीज इंडिया का मानना है कि इस बदलाव से शॉर्ट टर्म में BSE की वॉल्यूम पर 5-10% असर हो सकता है।
  • हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बीएसई लंबी अवधि के अनुबंधों में लिक्विडिटी (तरलता) लाकर इस नुकसान की भरपाई कर सकता है।


सेबी द्वारा एक्सपायरी तिथि में बदलाव से बीएसई को व्यापार में नुकसान हो सकता है, जिससे शेयर की कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि, लंबी अवधि में बीएसई अगर अच्छी रणनीति अपनाए, तो स्थिति सुधर सकती है।

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