Wednesday, May 14, 2025

सीमा पर तनाव के बीच पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की टिप्पणियों ने कैसे दी हास्यपूर्ण राहत

पिछले सप्ताह भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर हालात अत्यधिक तनावपूर्ण रहे। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसके बाद सीमा पर भीषण गोलीबारी हुई। तोपों की गूंज और युद्ध जैसे हालातों के बीच दोनों देशों के लोग सोशल मीडिया पर जमकर बहस कर रहे थे। इस तनावपूर्ण माहौल में एक शख्स ऐसा था जिसकी टिप्पणियों ने अनजाने में ही कुछ हास्य का तड़का लगा दिया — पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

ईमानदारी या लापरवाही?

25 अप्रैल को स्काई न्यूज को दिए गए एक साक्षात्कार में ख्वाजा आसिफ ने ऐसी बातें कह दीं, जिन्हें खुद पाकिस्तान के भीतर भी आलोचना का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा,

“जब हम 80 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ पश्चिम की ओर से लड़ रहे थे, तब आज के सारे आतंकवादी वाशिंगटन डी.सी. में दावतें उड़ा रहे थे।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान ने दशकों तक आतंकवाद का समर्थन किया, तो उनका जवाब था:

“हां, हम तीन दशकों तक अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों के लिए यह गंदा काम करते रहे। यह हमारी गलती थी, और हमने इसकी कीमत चुकाई है।”

“मदरसे हमारी दूसरी रक्षा पंक्ति”

नेशनल असेंबली में बोलते हुए, आसिफ ने मदरसों को देश की “दूसरी रक्षा पंक्ति” बताया। उन्होंने कहा:

“जहां तक मदरसों या वहां पढ़ने वाले छात्रों का सवाल है, वे हमारी दूसरी रक्षा पंक्ति हैं। जब समय आएगा, तो हम उनका 100% इस्तेमाल करेंगे।”

इस बयान को पाकिस्तान में ही मानवाधिकार संगठनों और जनता ने कठोर आलोचना का निशाना बनाया। मानवाधिकार कार्यकर्ता ताहिरा अब्दुल्ला ने कहा:

“इससे पहले से ही नकारात्मक वैश्विक छवि और मजबूत हुई है — कि पाकिस्तान के मदरसे आतंकवाद और धार्मिक कट्टरता के केंद्र हैं।”

ड्रोन हमलों पर अजीब तर्क

आसिफ ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान की सेना ने जानबूझकर भारतीय ड्रोन को नहीं रोका ताकि उनके सैन्य ठिकानों की सही लोकेशन न उजागर हो। उन्होंने कहा:

“यह एक तकनीकी मामला था। जब यह सुरक्षित हो गया, तो हमने उन्हें मार गिराया।”

हालांकि, इसे विशेषज्ञों ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली की विफलता को छिपाने का प्रयास माना। भारत ने पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को लगभग पूरी तरह निष्फल किया।

सोशल मीडिया वाला सबूत

CNN को दिए एक साक्षात्कार में जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की वायु सेना ने वास्तव में पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया, तो उन्होंने आत्मविश्वास से कहा:

“यह सब सोशल मीडिया पर है।”

जब एंकर ने गंभीरता से सबूत मांगा, तो आसिफ कोई ठोस प्रमाण नहीं दे सके। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत ने तीन विमान गिरने की बात स्वीकार की है — जबकि भारतीय वायु सेना ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया।

परमाणु धमकी की गूंज

भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद आसिफ ने समा टीवी पर एक साक्षात्कार में कहा:

“यदि हमारे अस्तित्व को खतरा हुआ, तो जवाब ऐसा होगा जिसे इतिहास याद रखेगा। अगर हम नहीं रहेंगे, तो कोई नहीं रहेगा।”

इस बयान को एक परमाणु धमकी के रूप में देखा गया और इसकी व्यापक आलोचना हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में स्पष्ट कहा:

“भारत अब परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा। हम आतंक के अड्डों पर सटीक और निर्णायक हमला करेंगे।”

पुराना इतिहास भी रंग लाया

ख्वाजा आसिफ का यह पहला विवाद नहीं है। 2023 में, उन्होंने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की महिला सांसदों को “कचरा” कहा था। बाद में जब उनकी आलोचना हुई, तो उन्होंने नेशनल असेंबली में अजीब दलील दी:

“अगर महिलाएं लैंगिक समानता की मांग करती हैं, तो उन्हें ऐसी टिप्पणियों को सहना चाहिए।”

देश के भीतर भी आलोचना

आसिफ की हालिया टिप्पणियों पर पाकिस्तान के भीतर भी तीखी प्रतिक्रिया हुई है। PTI की सांसद जर्ताज गुल ने कहा:

“अगर आपको अंग्रेज़ी नहीं आती, तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया से बात क्यों करते हैं? अगर आप देश की रक्षा नहीं कर सकते, तो कम से कम उसका मजाक मत उड़ाइए।”

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पास अधिक शिक्षित और जिम्मेदार लोग हैं जिन्हें विदेश में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहिए।

सोशल मीडिया पर भी कई पाकिस्तानियों ने ख्वाजा आसिफ की टिप्पणियों को “शर्मनाक” करार दिया है।

जब सीमा पर हालात तनावपूर्ण हों और युद्ध जैसे दृश्य सामने हों, ऐसे में एक रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी होती है कि वह संयमित, तथ्यात्मक और राष्ट्रहित में बयान दे। लेकिन ख्वाजा आसिफ की टिप्पणियों ने इस गंभीर माहौल में हास्य और चिंता दोनों को जन्म दिया — और पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का कारण बनीं।

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