पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान पाकिस्तान की तीखी आलोचना की। समाचार एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इस बैठक में परिषद के सदस्यों ने भारत में हुए हमले को लेकर पाकिस्तान पर कड़ा सवाल उठाया और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की इस हमले में संलिप्तता को लेकर इस्लामाबाद से जवाब मांगा।
पिछले महीने हुए इस हमले में 25 पर्यटकों और एक कश्मीरी टट्टू चालक की आतंकवादियों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। UNSC के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि यह हमला न केवल मानवता पर बल्कि वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था पर भी एक गंभीर हमला था।
बैठक में पाकिस्तान द्वारा लगातार दी जा रही परमाणु हमलों की धमकियों को भी तनाव को और बढ़ाने वाला कारक बताया गया। सदस्यों ने इस बात पर चिंता जताई कि पाकिस्तान क्षेत्रीय मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाकर उन्हें राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है, जो सफल नहीं हो सकी। इसके साथ ही, पाकिस्तान के हालिया मिसाइल परीक्षणों पर भी सुरक्षा परिषद ने चिंता व्यक्त की।
यह बैठक पाकिस्तान की मांग पर बुलाई गई थी, जिसे परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में उसने ग्रीस की अध्यक्षता वाले यूएनएससी से अनुरोध किया था। परिषद में वीटो अधिकार रखने वाले स्थायी सदस्य अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं, जबकि अस्थायी सदस्यों में अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पनामा, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया शामिल हैं।
बैठक एक घंटे से अधिक चली, जिसमें सभी सदस्यों ने आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और आतंकियों को न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया। रिपोर्ट के अनुसार, सदस्यों ने यह भी कहा कि हमले में मारे गए लोगों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया था, जो अत्यंत निंदनीय है।
सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान द्वारा दिए गए “झूठे झंडे” वाले बयान को सिरे से खारिज कर दिया और इस्लामाबाद को भारत के साथ अपने मतभेदों को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाने की सलाह दी।
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पाकिस्तान के दूत असीम इफ्तिखार ने भारत के लगाए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।
हालांकि, सुरक्षा परिषद और भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
बैठक के बाद ट्यूनीशिया के राजनयिक खालिद मोहम्मद खैरी ने कहा कि वर्तमान स्थिति “अस्थिर” है और उन्होंने “संवाद और शांतिपूर्ण समाधान” की अपील की। वहीं, यूएनएससी के मई महीने के अध्यक्ष और ग्रीस के दूत इवेंजेलोस सेकेरिस ने इस बैठक को “उत्पादक और मददगार” करार दिया।
रूस के एक प्रतिनिधि ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में तनाव में कमी आएगी।
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी कहा था कि “सैन्य समाधान कोई समाधान नहीं है” और दोनों देशों से संयम बरतने और सीमाओं पर तनाव कम करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, “भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को उबलते बिंदु तक पहुंचते देखना दुखद है।”
गुटेरेस ने आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि वह पीड़ितों के प्रति “गहरी संवेदना” रखते हैं और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि नागरिकों को निशाना बनाना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि अपराधियों को न्याय के दायरे में लाना जरूरी है।
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमला हालिया वर्षों के सबसे भीषण और क्रूर हमलों में से एक था। इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था और भारत में रह रहे पाकिस्तानियों के वीजा भी रद्द कर दिए थे। यह घटना पूरी दुनिया को झकझोर देने वाली थी और इसके बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना हो रही है।

