सीएनबीसी-टीवी18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, नकदी की भारी कमी का सामना कर रही गो फर्स्ट एयरलाइन को लेकर भारतीय विधि न्यायाधिकरण ने परिसमापन का आदेश दिया है। यह निर्णय एयरलाइन के ऋणदाताओं के अनुरोध पर लिया गया।
हालांकि, गो फर्स्ट एयरलाइन ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए रॉयटर्स द्वारा किए गए अनुरोध का तुरंत कोई जवाब नहीं दिया।
सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि अगस्त में, गो फर्स्ट के ऋणदाताओं ने दिवालिया हो चुकी इस एयरलाइन को पुनर्जीवित करने के लिए इच्छुक दावेदारों की ओर से आई बोलियों को अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद ऋणदाताओं ने कंपनी की परिसंपत्तियों को परिसमाप्त करने का निर्णय लिया।
गो फर्स्ट एयरलाइन ने मई 2022 में दिवालियापन के लिए आवेदन किया था। इसके तहत एयरलाइन को दो वित्तीय बोलियाँ प्राप्त हुईं, जिनमें से एक बोली ऋणदाताओं के दबाव के बाद बढ़ा दी गई थी।
एयरलाइन पर ऋणदाताओं का कुल 65.21 अरब रुपये ($781.14 मिलियन) बकाया है। इन ऋणदाताओं में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और ड्यूश बैंक शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, गो फर्स्ट एयरलाइन के विदेशी विमान पट्टेदारों और कंपनी के बीच विवाद तब गहराया, जब भारतीय अदालतों ने विमान पट्टेदारों को एयरलाइन के विमान वापस लेने से रोक दिया। हालांकि, अप्रैल 2023 में एक स्थानीय अदालत ने पट्टेदारों को उनके विमान वापस लेने की अनुमति दे दी थी।