Tuesday, June 17, 2025

वित्त वर्ष 2025 में RBI की बैलेंस शीट में 8% से अधिक की वृद्धि

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की बैलेंस शीट में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 8.20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिसका प्रमुख कारण स्वर्ण भंडार में उल्लेखनीय वृद्धि और घरेलू व विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में निवेश रहा। बैलेंस शीट का आकार 31 मार्च, 2024 को ₹70,47,703.21 करोड़ था, जो बढ़कर 31 मार्च, 2025 को ₹76,25,421.93 करोड़ हो गया।

RBI की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, परिसंपत्तियों में यह वृद्धि तीन प्रमुख क्षेत्रों—सोना, घरेलू निवेश और विदेशी निवेश—में क्रमशः 52.09 प्रतिशत, 14.32 प्रतिशत और 1.70 प्रतिशत की बढ़ोतरी से प्रेरित रही। वहीं, देनदारियों के मोर्चे पर बैलेंस शीट में विस्तार जारी किए गए नोटों, पुनर्मूल्यांकन खातों और अन्य देनदारियों में क्रमशः 6.03 प्रतिशत, 17.32 प्रतिशत और 23.31 प्रतिशत की वृद्धि के कारण हुआ।

31 मार्च, 2025 तक RBI के पास कुल 879.58 टन स्वर्ण भंडार था, जिसमें से लगभग 367.60 टन सोना विदेशी बैंकों में रखा गया था। पिछले वर्ष यानी 31 मार्च, 2024 तक यह भंडार 822.10 टन था। भू-राजनीतिक तनावों और वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के बीच सोने की कीमतों में आई तेजी ने RBI की संपत्ति में अहम योगदान दिया।

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ और घरेलू निवेश

RBI की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ, जिनमें अन्य केंद्रीय बैंकों, बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS), विदेशी वाणिज्यिक बैंकों, विदेशी ट्रेजरी बिलों और प्रतिभूतियों में निवेश और भारत सरकार से प्राप्त विशेष आहरण अधिकार (SDRs) शामिल हैं, 31 मार्च, 2024 तक ₹48.02 लाख करोड़ से बढ़कर 31 मार्च, 2025 तक ₹48.83 लाख करोड़ हो गईं।

इसी प्रकार, RBI की घरेलू प्रतिभूतियों की होल्डिंग 31 मार्च, 2024 को ₹13.63 लाख करोड़ थी, जो 31 मार्च, 2025 को बढ़कर ₹15.58 लाख करोड़ हो गई। यह वृद्धि मुख्य रूप से तरलता प्रबंधन परिचालन के कारण हुई।

मुद्रा प्रवृत्तियाँ

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान देश में प्रचलन में बैंक नोटों की कुल मात्रा में 5.6 प्रतिशत और मूल्य में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो यह दर्शाता है कि डिजिटल विकल्पों के बावजूद मुद्रा अभी भी एक महत्वपूर्ण भुगतान साधन बनी हुई है।

31 मार्च, 2025 तक प्रचलन में कुल बैंक नोटों की संख्या 15.5 लाख थी, जबकि पिछले वर्ष यह 14.68 लाख थी। 500 रुपये के नोट सबसे अधिक चलन में रहे, जो कुल नोटों का 40.9 प्रतिशत थे। वर्ष 2024-25 में बैंक नोटों का कुल मूल्य ₹36.86 लाख करोड़ रहा, जबकि पिछले वर्ष यह ₹34.77 लाख करोड़ था। वहीं, सिक्कों की मात्रा में 3.6 प्रतिशत और उनके मूल्य में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

डिजिटल भुगतान

देश की भुगतान और निपटान प्रणाली—जिसमें RTGS, NEFT, IMPS, UPI और कार्ड भुगतान शामिल हैं—ने 2024-25 के दौरान लेन-देन की मात्रा में 34.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। हालांकि यह वृद्धि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में दर्ज 44 प्रतिशत की तुलना में थोड़ी कम रही।

इस गिरावट का एक प्रमुख कारण डेबिट कार्ड भुगतानों में आई कमी रहा, जबकि UPI ने एक बार फिर अपनी तेज़ गति बनाए रखी और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में मजबूत पकड़ दिखाई।

RBI की बैलेंस शीट में यह मजबूती दर्शाती है कि वैश्विक अनिश्चितताओं और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत की मौद्रिक प्रणाली स्थिर और सशक्त बनी हुई है। स्वर्ण भंडार, विदेशी निवेश और घरेलू परिसंपत्तियों में विवेकपूर्ण निवेश नीति के चलते केंद्रीय बैंक की वित्तीय स्थिति और भी मजबूत हुई है।

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