भारत के दिग्गज ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में अपनी सफलता की कहानी साझा करते हुए बताया कि उनकी क्रिकेट यात्रा में दो महत्त्वपूर्ण शख्सियतों का गहरा प्रभाव रहा है — और खास बात ये है कि दोनों का पहला नाम “महेंद्र” है और वे एक ही राज्य, बिहार, से ताल्लुक रखते हैं।
रविचंद्रन अश्विन द्वारा होस्ट किए गए पॉडकास्ट ‘कुट्टी स्टोरीज विद ऐश’ में बातचीत के दौरान जडेजा ने खुलकर बताया कि कैसे उनके बचपन के कोच महेंद्र सिंह चौहान और भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उनके करियर को आकार देने में अहम भूमिका निभाई।
जडेजा ने भावुक अंदाज़ में कहा,
“मेरी क्रिकेट यात्रा दो महेंद्रों के बीच है – महेंद्र सिंह चौहान और महेंद्र सिंह धोनी।”
“मैंने लगभग 8-9 साल की उम्र में जामनगर के ‘क्रिकेट बंगला’ मैदान पर क्रिकेट खेलना शुरू किया था। मेरे पहले कोच महेंद्र सिंह चौहान, जो आज भी उसी मैदान पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं, बिहार से हैं। मैंने यह बात माही भाई (धोनी) को भी बताई थी।”
जडेजा ने अपने कोच चौहान की सख्त ट्रेनिंग और अनुशासन की यादें साझा कीं। उन्होंने बताया कि चौहान, जो पहले एक पुलिस अधिकारी थे, फिटनेस को सर्वोपरि मानते थे।
“उनकी सोच थी कि एक खिलाड़ी को अपनी फिटनेस के चरम पर होना चाहिए। उनका मानना था कि बल्लेबाजी और गेंदबाजी सीखी जा सकती है, लेकिन मैदान पर बने रहने के लिए दौड़ना ज़रूरी है। मेरी फील्डिंग और फिटनेस का आधार उन्हीं की ट्रेनिंग है – जामनगर के आसपास 15-20 किलोमीटर की दौड़ रोज़ का हिस्सा थी।”
जब अश्विन ने जडेजा से पूछा कि अगर उन्हें धोनी को एक शब्द में वर्णित करना हो, तो वह क्या कहेंगे, तो जडेजा ने जवाब दिया:
“एमएस धोनी की महानता को किसी एक शब्द में बयान करना नामुमकिन है। वह सभी से ऊपर हैं।”
धोनी की कप्तानी में जडेजा और अश्विन दोनों ही भारत की टेस्ट टीम और चेन्नई सुपर किंग्स की सफलता में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं। दोनों खिलाड़ी आईपीएल में धोनी के नेतृत्व में चेन्नई के स्टार गेंदबाज रहे हैं।
बातचीत के दौरान भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तानों में से एक, विराट कोहली, का भी जिक्र हुआ। कोहली ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया है, और जडेजा ने उनके जज़्बे की तारीफ की।
“विराट का नजरिया हमेशा जीतने का रहा है, खासकर टेस्ट क्रिकेट में,” जडेजा ने कहा।
“वह हमेशा चाहते थे कि हम टेस्ट मैच में विपक्षी टीम के पूरे 20 विकेट लें। चाहे तीन घंटे का सत्र हो या मैच में सिर्फ 45 ओवर बचे हों, उनकी सोच यही रहती थी कि मैच में वापसी की जा सकती है।”
कोहली के टेस्ट करियर की बात करें तो उन्होंने 123 मैचों में 46.85 की औसत से 9,230 रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 31 अर्द्धशतक शामिल हैं। यह रिकॉर्ड भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक गौरवपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज है।
जडेजा की इस खुलकर की गई बातचीत ने यह साबित कर दिया कि सफलता के पीछे न केवल प्रतिभा बल्कि सही मार्गदर्शन और अनुशासन का भी अहम रोल होता है — और उनके जीवन में यह भूमिका दो महेंद्रों ने बखूबी निभाई।