निजी क्षेत्र के प्रमुख ऋणदाता यस बैंक ने मंगलवार को घोषणा की कि उसके बोर्ड ने पूंजी जुटाने के एक बड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के तहत बैंक इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स के संयोजन के जरिए कुल 16,000 करोड़ रुपये तक की राशि जुटाएगा। यह फंड बैंक के कारोबारी विकास और भविष्य की पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाएगा।
बैंक की नियामकीय फाइलिंग के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान 7,500 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी और 8,500 करोड़ रुपये के डेट इंस्ट्रूमेंट्स जारी किए जाएंगे। यह राशि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक या अधिक चरणों में जुटाई जाएगी।
यस बैंक ने स्पष्ट किया कि विभिन्न अनुमत माध्यमों से इक्विटी प्रतिभूतियों के जरिये 7,500 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे, लेकिन इस प्रक्रिया में कुल इक्विटी हिस्सेदारी का कमजोरीकरण (dilution) 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा, जिसमें किसी भी परिवर्तनीय ऋण का रूपांतरण भी शामिल होगा।
इसी तरह, बोर्ड ने भारतीय या विदेशी मुद्रा में पात्र ऋण प्रतिभूतियां (Eligible Debt Securities) जारी कर 8,500 करोड़ रुपये तक जुटाने को भी मंजूरी दी है। ये जारी करना भी एक या एक से अधिक चरणों में किया जाएगा और इसमें भी रूपांतरण की स्थिति में इक्विटी में कुल कमजोरीकरण 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
बोर्ड ने इसके अलावा बैंक, सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बीच 9 मई 2025 को हुए शेयर खरीद समझौते (Share Purchase Agreement) के तहत बैंक के एसोसिएशन के लेखों (Articles of Association) में संशोधन को भी मंजूरी दी है।
यह संशोधन अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और शेयरधारकों की मंजूरी के अधीन होंगे। संशोधित लेखों के अनुसार:
- SMBC या उसका कोई अनुमत प्रतिनिधि, बैंक के बोर्ड में दो गैर-कार्यकारी, गैर-स्वतंत्र निदेशकों को नामित कर सकता है, जब तक वे सभी लागू कानूनों का पालन करते हैं।
- वहीं, SBI को एक गैर-कार्यकारी, गैर-स्वतंत्र निदेशक नामित करने का अधिकार होगा।
हालांकि, यदि SMBC की बैंक में हिस्सेदारी 10 प्रतिशत और SBI की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से कम हो जाती है, तो ये बोर्ड प्रतिनिधित्व के अधिकार स्वतः समाप्त हो जाएंगे।
गौरतलब है कि पिछले महीने, SBI और सात अन्य ऋणदाताओं ने यह घोषणा की थी कि वे मिलकर यस बैंक में अपनी 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी जापानी बैंक SMBC को 13,483 करोड़ रुपये में बेचेंगे। यह सौदा बैंक में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने और प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।