Monday, December 23, 2024

मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा ने किया भारत अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का रुख

तहव्वुर राणा ने भारत में प्रत्यर्पण रोकने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की

2008 के मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा ने भारत में अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह याचिका उनके लिए अंतिम कानूनी प्रयास है, क्योंकि इससे पहले वह निचली और संघीय अदालतों, जिसमें नौवें सर्किट के लिए अमेरिकी अपील न्यायालय भी शामिल है, में अपनी लड़ाई हार चुके हैं। नौवें सर्किट अदालत ने 23 सितंबर को राणा के स्थगन के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।

भारत ने 26/11 के मुंबई हमलों में राणा की कथित भूमिका के चलते उनका प्रत्यर्पण मांगा है। इन हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे। तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को सहायता प्रदान की, जिसने इन हमलों को अंजाम दिया।

राणा का तर्क

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में राणा ने दावा किया है कि उन्हें शिकागो की संघीय अदालत ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले से संबंधित आरोपों में बरी कर दिया था। उनका कहना है कि भारत में प्रत्यर्पण होने पर यह “डबल जियोपार्डी” (दोहरे खतरे) के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।

याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि भारत में राणा पर मुकदमा चलता है और उन्हें दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें मौत की सजा का सामना करना पड़ सकता है।

राणा ने अपनी याचिका में लिखा है कि भारत द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे उन्हीं तथ्यों और आचरण पर आधारित हैं जिन पर शिकागो की अदालत में मुकदमा चल चुका है।

याचिका में क्या कहा गया है

राणा की याचिका में कहा गया है, “भारत अब शिकागो मामले में समान आचरण के आधार पर आरोपों पर मुकदमा चलाने के लिए उसे प्रत्यर्पित करना चाहता है। यदि ‘तत्व’ मानक लागू होता है, तो मुझे उसी आचरण के लिए दूसरी बार मुकदमा चलाने के लिए भारत भेजा जाएगा, जिसमें दोषी ठहराया जा सकता है और मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है।”

याचिका में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक कानून प्रवर्तन और प्रत्यर्पण के बढ़ते मामलों का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है, “इस मुद्दे का समाधान महत्वपूर्ण है, क्योंकि अपराध और कानून प्रवर्तन का वैश्वीकरण बढ़ रहा है, जिससे प्रत्यर्पण के मामलों में नाटकीय वृद्धि हुई है। यह आगे चलकर अधिक व्यक्तियों और राष्ट्रों को प्रभावित करेगा।”

26/11 हमलों की पृष्ठभूमि

मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। इन आतंकवादियों ने 60 घंटे तक मुंबई के महत्वपूर्ण स्थानों को घेरकर तबाही मचाई थी। इस हमले ने भारत की वित्तीय राजधानी को गहरे जख्म दिए और दुनिया भर में इसकी निंदा की गई।

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