मिथुन चक्रवर्ती सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं हैं — वे भारतीय सिनेमा में एक पूरे युग, एक क्रांति और एक आंदोलन का नाम हैं। जब डांस सिर्फ पर्दे पर दिखने वाला एक सीमित तत्व हुआ करता था, तब मिथुन ने उसे एक जोशीले तमाशे में बदल दिया, जिसे देखकर दर्शक सिर्फ तालियाँ नहीं बजाते थे, बल्कि खुद भी थिरक उठते थे।
डिस्को का नया चेहरा
1982 में जब डिस्को डांसर रिलीज़ हुई, तो देश को एक नया हीरो मिला — “जिमी”। लेकिन यह सिर्फ एक किरदार नहीं था। मिथुन ने इस भूमिका के ज़रिए डांस की दुनिया में एक क्रांति ला दी। उस दौर में जब अधिकांश हीरो पारंपरिक चाल-ढाल और सीमित डांस मूव्स तक सिमटे रहते थे, मिथुन चक्रवर्ती ने ब्रेकडांस, स्ट्रीट स्टाइल, हाई-एनर्जी मूव्स और पूरी बॉडी की लय से दर्शकों को चौंका दिया।
डांस जो दिल से निकला
मिथुन न तो पारंपरिक बैले डांसर थे और न ही किसी क्लासिकल फॉर्म के एक्सपर्ट, लेकिन उनकी सबसे बड़ी ताकत यही थी। वे जिस तरह से नाचते थे, वह तकनीकी रूप से “परफेक्ट” भले न हो, पर उनके डांस में आत्मा थी, आत्मविश्वास था और दर्शकों से जुड़ने की ताकत थी। उन्होंने साबित किया कि डांस सिर्फ अभ्यास नहीं, जुनून भी होता है।
जन-जन के डांसर
बड़े शहरों से लेकर छोटे गांवों तक, मिथुन का स्टाइल युवाओं की पहली पसंद बन गया। शादियों, कॉलेज फेस्टिवल्स और मोहल्ले के टैलेंट शो में “जिमी जिमी” और “आई एम ए डिस्को डांसर” पर बच्चे-बड़े सभी थिरकते थे। वे एक ऐसे कलाकार बन गए, जिनकी नकल करना गौरव की बात मानी जाती थी।
आने वाली पीढ़ियों पर प्रभाव
आज के दौर के बड़े डांसर्स और कोरियोग्राफर्स जैसे रेमो डिसूजा और प्रभुदेवा भी यह मानते हैं कि मिथुन चक्रवर्ती उनके शुरुआती प्रेरणास्रोत थे। उनके डांस में जो स्ट्रीट की रफ्तार, निडरता और स्वैग था, वह आज भी भारतीय डांस कल्चर की नसों में दौड़ता है।
हीरो से आइकॉन तक
मिथुन कभी भी “परंपरागत हीरो” की छवि में फिट नहीं बैठे, लेकिन यही उन्हें सबसे अलग बनाता है। उन्होंने अपने हर गाने को एक मंच में बदला — चाहे वह “डांस डांस” हो, “जिमी जिमी” या “सुपर डांसर” — उन्होंने ना सिर्फ उस पर डांस किया, बल्कि उसे जीवंत कर दिया।
एक विरासत जो आज भी ज़िंदा है
आज जब सोशल मीडिया पर वायरल रील्स, इंस्टाग्राम डांस चैलेंज और यूट्यूब कोरियोग्राफी हर युवा का हिस्सा है, तो मिथुन चक्रवर्ती की झलक वहां भी देखी जा सकती है। उनके स्टेप्स अब भी रीमिक्स किए जाते हैं, उनके गाने आज भी नाइट क्लब्स और रेट्रो पार्टियों में गूंजते हैं।
क्योंकि जब एक बार दादा ने नाचना शुरू किया… तब से भारत कभी नहीं रुका।