Sunday, December 22, 2024

भारत के सबसे अमीर राज्यों में से एक में महिलाओं को 1,500 रुपये देकर कैसे चुनाव जीता गया

भारत में चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों को इन दिनों एक नई कीमत चुकानी पड़ रही है: वंचित महिलाओं को नकद सहायता। देश के 10 राज्यों में महिला मतदाताओं को दी जाने वाली ये नकद सहायता अब $20 बिलियन से अधिक की वार्षिक प्रतिबद्धता बन गई है। महाराष्ट्र, जो वित्तीय राजधानी मुंबई का घर और भारत के सबसे अमीर राज्यों में से एक है, इसका एक प्रमुख उदाहरण है।

पिछले अप्रैल-मई के संघीय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 17 पर जीत दर्ज की, जबकि 2019 में उसने 41 सीटें जीती थीं। दूसरी ओर, राहुल गांधी के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन ने 30 सीटें जीतीं। यह परिणाम तब आया, जब भाजपा ने स्थानीय विधानसभा चुनावों में हार के बाद, स्थिति को सुधारने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया था।

जून के महाराष्ट्र बजट में 25 मिलियन महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये ($18) नकद सहायता देने का प्रावधान किया गया। यह रणनीति सफल रही। राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 149 में से 132 सीटों पर जीत दर्ज की। सहयोगी दलों के साथ, यह संख्या 235 तक पहुंच गई। विपक्ष इस हार से पूरी तरह हतप्रभ है और चुनावी गड़बड़ी का आरोप लगा रहा है।

वंचित महिलाओं को नकद सहायता का प्रभाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बावजूद, इस चुनावी सफलता का मुख्य कारण महिलाओं को दी गई यह नकद सहायता है। यह भारत की बढ़ती असमानताओं और वंचित महिलाओं के जीवन में छोटे आर्थिक योगदान के गहरे प्रभाव को उजागर करता है। यह रणनीति अन्य राज्यों के नेताओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है।

विशेष रूप से महाराष्ट्र जैसे राज्यों में, जहां अरबों डॉलर की रियल एस्टेट परियोजनाएं चल रही हैं, राजनीतिक दलों के लिए सत्ता बनाए रखना एक प्राथमिकता बन गया है।

महाराष्ट्र का विशेष महत्व

महाराष्ट्र की राजनीति की भूमिका केवल संसद में प्रतिनिधित्व तक सीमित नहीं है। यह राज्य मुंबई जैसे शहर की वाणिज्यिक शक्ति और संपन्नता का केंद्र है। यही कारण है कि यहां की राजनीति में पैसे का प्रभाव हमेशा से प्रमुख रहा है। परंपरागत रूप से, यह प्रभाव कृषि हित समूहों के माध्यम से देखा गया है, क्योंकि राज्य के कई नेता चीनी उद्योग से जुड़े रहे हैं।

हालांकि, हाल के चुनावों में रियल एस्टेट एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है।

धारावी पुनर्विकास: राजनीति और विवाद

मुंबई की धारावी झुग्गी बस्ती के 600 एकड़ भूमि के पुनर्विकास का सौदा एक राजनीतिक विवाद का विषय बन गया। यह सौदा भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यवसायी गौतम अडानी की कंपनी को दिया गया। राहुल गांधी ने राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अडानी को यह सौदा सौंपकर भाई-भतीजावाद किया।

यह विवाद तब और गहराया जब यह सामने आया कि झुग्गी पुनर्विकास के लिए 255 एकड़ सार्वजनिक स्वामित्व वाली नमक भूमि भी अडानी को दी गई। इसके अलावा, मुंबई में कोई भी नया निर्माण परियोजना धारावी परियोजना से विकास अधिकार खरीदने पर मजबूर है।

सत्ता में बने रहने की होड़

यदि विपक्षी गठबंधन महाराष्ट्र की भाजपा सरकार को हटा देता, तो यह सौदा रद्द हो सकता था। लेकिन मतदाताओं को इन मुद्दों की परवाह नहीं दिखी। राज्य की राजनीति लंबे समय से शक्तिशाली आर्थिक हितों के इर्द-गिर्द घूमती रही है।

महिला मतदाताओं की निर्णायक भूमिका

महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण में महिला मतदाता अब एक केंद्रीय भूमिका निभा रही हैं। राज्य में महिलाओं को दी जा रही नकद सहायता न केवल उनके जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि यह चुनावी परिणामों को भी बदल रही है।

अजित पवार, जो भाजपा खेमे में शामिल होने के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बने, ने कहा था, “महाराष्ट्र में विचारधारा के बारे में मत पूछिए। यहां हर कोई सत्ता चाहता है।”

निष्कर्ष

महाराष्ट्र में वर्तमान राजनीतिक सत्ता को बनाए रखने में महिलाओं को दी जा रही नकद सहायता और रियल एस्टेट परियोजनाओं की भूमिका अहम रही है। यह घटनाक्रम भारत की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत को दर्शाता है, जहां वंचित तबकों को आर्थिक लाभ पहुंचाकर सत्ता हासिल की जा सकती है।

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