केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अंडमान क्षेत्र में विशाल ऊर्जा भंडार की संभावना को रेखांकित करते हुए कहा है कि भारत के पास वहां ‘कई गुयाना’ जैसी क्षमताएं मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने तेल और गैस के अन्वेषण और उत्पादन (E&P) को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
पुरी ने कहा कि भारत के पास 3.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर का तलछटी बेसिन (sedimentary basin) है, लेकिन इसका केवल 8 प्रतिशत हिस्सा ही अब तक अन्वेषित हुआ है। इसका अर्थ है कि भारत के समुद्री तल का एक बहुत बड़ा भाग अब भी अनछुआ और संभावनाओं से भरा हुआ है।
निषिद्ध क्षेत्रों को खोला गया
उन्होंने बताया कि पहले कुछ तलछटी क्षेत्र “निषिद्ध क्षेत्र” की श्रेणी में आते थे, जहां अन्वेषण की अनुमति नहीं थी। लेकिन अब सरकार ने 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को खोलकर उसे अन्वेषण के लिए उपलब्ध करा दिया है। यह निर्णय ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
तेल आयात पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य
मंत्री ने कहा कि भारत 80% कच्चे तेल और 50% प्राकृतिक गैस का आयात करता है। यदि देश को 5 बिलियन बैरल तेल का भंडार मिल जाता है, तो यह भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (OALP) में प्रगति
पुरी ने बताया कि ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति के नौवें दौर में अब तक 38 प्रतिशत बोलियां आई हैं, जो 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दौर में 75 प्रतिशत से अधिक बोलियां प्राप्त होंगी। उन्होंने कहा, “हमने अब तक का सबसे बड़ा क्षेत्र – करीब 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर – बोली के लिए पेश किया है।”
42 बिलियन टन तेल और गैस की संभावना
भारत के तलछटी बेसिन में कुल मिलाकर लगभग 42 बिलियन टन तेल और गैस संसाधनों की संभावना है। हालांकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि अपतटीय (offshore) क्षेत्रों में खोज एक महंगा काम है। उन्होंने बताया कि एक सामान्य तटवर्ती (onshore) कुएं की लागत लगभग 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि एक अपतटीय कुएं की लागत लगभग 100 मिलियन डॉलर तक हो सकती है।
‘गुयाना क्षण’ का जिक्र
हरदीप पुरी ने गुयाना का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे उस देश ने 46 कुएं खोदने के बाद भी कुछ नहीं पाया, लेकिन 47वें कुएं में विशाल तेल भंडार की खोज हुई – जो अब दुनिया की सबसे बड़ी खोजों में से एक मानी जाती है। पुरी ने कहा, “हमारे पास अंडमान में कई गुयाना की क्षमता है।”
हाल की प्रमुख खोजें
मंत्री ने हाल में हुई कुछ सफल खोजों पर भी प्रकाश डाला:
- सूर्यमणि क्षेत्र में 4 मिलियन मीट्रिक टन तेल की संभावना है।
- नीलमणि क्षेत्र में 1.2 मिलियन मीट्रिक टन की संभावना बताई गई है।
- एक अन्य कुआं, जो 2,865 मीटर की गहराई पर स्थित है, वहां तेल और गैस दोनों के भंडार मिले हैं। मंत्री ने कहा कि यह आंकलन अभी भी “कमतर” हो सकता है।
भारत अब अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अधिक आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। अंडमान क्षेत्र में संभावित तेल और गैस भंडार भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद अहम साबित हो सकते हैं। हरदीप पुरी के अनुसार, यदि इन अनछुए क्षेत्रों की क्षमता का सही ढंग से दोहन हो सके, तो भारत अपना ‘गुयाना क्षण’ जरूर हासिल कर सकता है।