Wednesday, May 14, 2025

भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार से कैसे पीछे हटे

भारत और पाकिस्तान—दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसी—एक संक्षिप्त लेकिन तीव्र संघर्ष के बाद युद्ध के कगार से पीछे हट गए हैं। दोनों देशों ने इस संघर्ष में जीत का दावा किया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के कूटनीतिक हस्तक्षेप ने इस्लामाबाद को रणनीतिक बढ़त दिलाई।

भारत ने पाकिस्तान के अंदर हवाई ठिकानों और कथित “आतंकवादी ढांचे” को निशाना बनाते हुए मिसाइल हमले किए। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह हमला सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान की संलिप्तता के विरुद्ध एक “निवारक” के रूप में किया गया था।

वहीं, पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया और अपने बड़े प्रतिद्वंद्वी भारत पर “ऐतिहासिक जीत” हासिल की। संघर्ष की शुरुआत दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे के शहरों में ड्रोन भेजने से हुई थी।

कूटनीति ने निभाई अहम भूमिका

वाशिंगटन स्थित कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के वरिष्ठ फेलो अंकित पांडा के अनुसार, “भारत इस विचार में सही साबित हुआ है कि परमाणु छाया के भीतर अब पहले से अधिक सामरिक स्वतंत्रता है।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना अपने जवाबी हमले से संतुष्ट होकर लौटेगी, यह सोचते हुए कि निवारक संतुलन फिर से स्थापित हो गया है।

भारत के अनुसार, संघर्ष में उसके कम से कम 16 नागरिक और 5 सैनिक मारे गए हैं। पाकिस्तान का कहना है कि 6 मई से अब तक 11 सैनिक और 40 नागरिक मारे गए हैं, जिनमें 15 बच्चे भी शामिल हैं। भारत ने यह भी दावा किया कि उसने 40 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया है।

हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि दोनों देशों ने घातक हमले किए, लेकिन पूर्ण युद्ध को टालने में अमेरिका के हस्तक्षेप की बड़ी भूमिका रही। भारत को यह बात नागवार गुज़री क्योंकि उसका मानना है कि इससे उसे आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वाले देश के समकक्ष मान लिया गया।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति का दबाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के नेताओं के “अटूट शक्तिशाली नेतृत्व” की तारीफ करते हुए संघर्ष को रोकने के लिए उनकी सराहना की। साथ ही उन्होंने कहा कि “कश्मीर मुद्दे का समाधान संभव है।” यह विवादित मुस्लिम-बहुल क्षेत्र लंबे समय से दोनों देशों के बीच संघर्ष का केंद्र रहा है। भारत और पाकिस्तान इस क्षेत्र पर दावा करते रहे हैं और इसके लिए तीन युद्ध भी लड़ चुके हैं। हालांकि, भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का सख्त विरोध करता है।

पाकिस्तानी राजनयिकों ने ट्रंप की “समाधान की इच्छा” को सकारात्मक कदम बताया, जबकि भारत के विदेश मंत्रालय ने किसी भी मध्यस्थता से साफ इनकार कर दिया।

भारत की कूटनीतिक रणनीति को झटका

भारत के पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम नई दिल्ली के उस प्रयास को नुकसान पहुंचाता है, जिसके तहत वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत और पाकिस्तान को समान रूप से न देखने के लिए मनाने की कोशिश करता रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले वर्षों में हम सफलतापूर्वक यह छवि बना पाए थे कि भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग रास्तों पर हैं। लेकिन अब यह धारणा फिर से कमजोर हो रही है।”

अमेरिका के व्यापारिक दबाव की चर्चा

भारतीय विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह स्पष्टीकरण मांगा कि ट्रंप संघर्ष विराम की घोषणा करने वाले पहले व्यक्ति क्यों बने और क्या उन्होंने संघर्ष विराम की कोई शर्तें तय की थीं।

भारत इस समय अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता कर रहा है, जिसमें उम्मीद है कि वह भारतीय उत्पादों पर लगने वाले 26% टैरिफ को टाल सकेगा। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों पर दबाव बनाने के लिए व्यापार का इस्तेमाल किया।

ट्रंप ने कहा, “मैंने कहा, हम आप लोगों के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं, लेकिन अगर आपने इसे नहीं रोका, तो हम व्यापार नहीं करेंगे।”

हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में “व्यापार का कोई ज़िक्र नहीं हुआ”।

नेताओं की प्रतिक्रियाएं और सैन्य कार्रवाई

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को एक टेलीविज़न भाषण में भारत की सैन्य सफलता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत ने केवल “ऑपरेशन को स्थगित” किया है और “परमाणु धमकी की आड़ में विकसित हो रहे आतंकवादी ठिकानों पर निर्णायक हमला करेगा।”

भारत के हमलों में नूर खान एयर बेस जैसे लक्ष्य शामिल थे, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के केंद्र के पास स्थित है। मोदी ने कहा कि पाकिस्तान “वैश्विक आतंकवाद के विश्वविद्यालय” चला रहा है, जहां से विश्वभर में आतंकवादी हमले जन्म लेते हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी “ऐतिहासिक जीत” का दावा करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने आक्रामक भारत को रोका, जिसने उसके नागरिकों और शहरों को मिसाइलों व ड्रोनों से आतंकित किया था। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए युद्ध असंभव था, इसलिए जनता ने संघर्ष विराम का स्वागत किया।

सैन्य संतुलन और अंतरराष्ट्रीय ध्यान

पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारतीय राफेल जेट सहित पांच लड़ाकू विमानों को गिराया और चीन निर्मित विमानों का सफल उपयोग किया। इसके अलावा उसने दो दर्जन भारतीय सैन्य ठिकानों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागने का भी दावा किया।

भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने इस पर सीधा उत्तर देने से इनकार किया, लेकिन कहा, “नुकसान युद्ध का हिस्सा है” और “सभी भारतीय पायलट सुरक्षित लौट आए हैं।”

विश्लेषकों का मानना है कि इस संघर्ष ने भारत-पाक रिश्तों में तनाव का नया प्रतिमान स्थापित किया है। लेकिन नई दिल्ली की प्राथमिकता आतंकवाद का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से उठाना थी, जिसमें वह विफल रही क्योंकि वैश्विक ध्यान परमाणु संघर्ष की आशंका पर केंद्रित रहा।

भारत का कहना है कि उसके शुरुआती हमले भारतीय प्रशासित कश्मीर में पर्यटकों के नरसंहार का बदला लेने के लिए थे, जो कथित रूप से पाकिस्तान समर्थित उग्रवादियों द्वारा किया गया था। पाकिस्तान ने इस घटना से किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार करते हुए तटस्थ जांच की मांग की, जिसे भारत ने ठुकरा दिया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत पर बलूचिस्तान में अलगाववादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया।

नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के वरिष्ठ फेलो प्रताप भानु मेहता ने कहा, “दुनिया का ध्यान फिर से इस बात पर गया है कि यह क्षेत्र एक परमाणु फ्लैशपॉइंट है।” उन्होंने कहा, “यह आतंकवाद से भी बड़ा वैश्विक मुद्दा बनता जा रहा है।”

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