Wednesday, June 18, 2025

भारत और अमेरिका इस साल दे सकते हैं केवल एक ‘मिनी’ व्यापार समझौते को अंतिम रूप

भारत और अमेरिका के बीच इस साल कोई व्यापक व्यापार समझौता होने की संभावना नहीं है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि दोनों देशों के बीच फिलहाल सिर्फ एक सीमित या “मिनी” व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है, क्योंकि वे अब भी किसी बड़े समझौते से काफी दूर हैं।

यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भी कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच कोई भी ठोस व्यापार समझौता “बहुत दूर के भविष्य” में ही संभव है।

सरकारी अधिकारी ने द हिंदू को बताया, “दोनों देश अभी भी किसी व्यापक व्यापार समझौते से काफी दूर हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों की प्रतिबद्धता है कि इस साल की शरद ऋतु तक कोई न कोई परिणाम सामने आए, और यही कोशिश की जा रही है।”

अमेरिका में शरद ऋतु सितंबर से नवंबर तक मानी जाती है।

अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यदि इस साल कोई समझौता घोषित किया भी गया, तो वह कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित रहेगा। उन्होंने कहा, “व्यापार वार्ताएं सामान्यतः वर्षों तक चलती हैं। और जब भारत और अमेरिका जैसी विशाल अर्थव्यवस्थाएं आमने-सामने होती हैं, तो वार्ता और जटिल हो जाती है। ऐसे में, इस साल एक छोटा समझौता किया जा सकता है।”

द हिंदू को यह भी जानकारी मिली है कि भारत का वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय आंतरिक रूप से इस बात पर भी चर्चा कर रहा है कि अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ का कैसे जवाब दिया जाए।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श बैठक आयोजित की जा सकती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 3 मई को अपने ट्रुथ सोशल अकाउंट पर घोषणा की थी कि अमेरिका स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को मौजूदा 25% से बढ़ाकर 50% करेगा, जो 4 जून से प्रभाव में आ गया है।

इससे पहले ही भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया था कि वह मार्च 2025 से लागू 25% शुल्क के जवाब में अमेरिका पर जवाबी शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित रखती है।

उक्त अधिकारी ने बताया, “इस हालिया वृद्धि के बाद सरकार विचार कर रही है कि इस मुद्दे को भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का हिस्सा बनाया जाए या फिर इसे अलग से निपटाया जाए।”

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताओं की गति फिलहाल धीमी है और व्यापक समझौते की संभावना अभी दूर है। लेकिन राजनीतिक नेतृत्व की इच्छा है कि कम से कम एक सीमित समझौता इस साल सामने लाया जाए, ताकि संबंधों की दिशा में कुछ ठोस प्रगति दिखाई जा सके।

Latest news
Related news