भारतीय सेना ने एक बार फिर मानवीय सहायता और नागरिकों की सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साबित किया है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर रामबन के पास भारी बारिश और भूस्खलन के कारण फंसे सैकड़ों यात्रियों की सहायता के लिए सेना ने तत्परता से कदम उठाया।
प्राकृतिक आपदा के चलते यह क्षेत्र पूरी तरह से बाधित हो गया था, जिससे महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग यात्री बिना भोजन, पानी, आश्रय और चिकित्सकीय सहायता के मुश्किल हालात में फंस गए थे। इस आपात स्थिति को गंभीरता से लेते हुए, भारतीय सेना की तैनात इकाइयों ने तत्काल राहत कार्य शुरू किए।
सेना ने फंसे हुए लोगों को खाने के पैकेट, पीने का स्वच्छ पानी, दवाइयाँ और प्राथमिक चिकित्सा सहायता मुहैया कराई। इसके साथ ही सैनिकों ने छोटी सड़कों की सफाई कर यातायात बहाल करने और यात्रियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय भी किया।
भारतीय सेना का यह त्वरित और प्रभावी हस्तक्षेप न केवल यात्रियों की पीड़ा को कम करने में सहायक सिद्ध हुआ, बल्कि सेना की “जरूरत के समय दोस्त” की छवि को और भी मजबूत किया। ऐसे मानवीय प्रयासों से न सिर्फ नागरिक-सैन्य संबंधों को बल मिलता है, बल्कि जनता के बीच सेना के प्रति विश्वास भी गहराता है, खासकर तब जब देश प्राकृतिक आपदाओं और चुनौतियों से जूझ रहा होता है।
यह राहत अभियान भारतीय सेना की निस्वार्थ सेवा, करुणा और समर्पण के उस मूलभूत मूल्य को दर्शाता है, जो युद्ध के मैदान से परे भी उसे जनता का रक्षक बनाता है।

