Wednesday, July 30, 2025

भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी को अमेरिकी न्यायालय से राहत, हिरासत से रिहाई का आदेश

एक अमेरिकी न्यायाधीश ने बुधवार को हमास से कथित संबंधों के चलते हिरासत में लिए गए एक भारतीय शोधकर्ता को रिहा करने का आदेश दिया है। यह मामला न केवल कानूनी बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े अधिकारों को लेकर भी चर्चा का केंद्र बन गया है।

बदर खान सूरी, जो अमेरिकी राजधानी वॉशिंगटन डीसी स्थित जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरल फेलो के रूप में कार्यरत हैं, को लगभग दो महीने पहले वर्जीनिया स्थित उनके निवास से संघीय एजेंटों ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें टेक्सास की एक हिरासत केंद्र में रखा गया।

जिला न्यायाधीश पेट्रीसिया जाइल्स ने सूरी की तत्काल रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि उन्हें टेक्सास से वर्जीनिया लौटने और अपनी पत्नी व तीन बच्चों के साथ रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। न्यायाधीश ने यह भी स्पष्ट किया कि सूरी की हिरासत उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रथम संशोधन के तहत दिए गए संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

सूरी की पत्नी, मेफेज़ सालेह, ने इस निर्णय पर भावुक प्रतिक्रिया दी। सेंटर फॉर कॉन्स्टीट्यूशनल राइट्स (CCR) द्वारा जारी एक बयान में उन्होंने कहा, “न्यायाधीश के शब्द सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए।” उन्होंने आगे कहा, “फिलिस्तीन में जो कुछ हो रहा है, उस पर बोलना कोई अपराध नहीं है। हमें दुनिया को दिखाना चाहिए कि यह देश अब भी वह स्थान है, जहां लोग बिना डर के अपनी मान्यताओं को अभिव्यक्त कर सकते हैं।”

सूरी की ओर से CCR की वकील आस्था शर्मा पोखरेल ने कहा, “आज का निर्णय ट्रम्प प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश देता है कि वे किसी को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार नहीं कर सकते क्योंकि वह गाजा में हो रहे नरसंहार के खिलाफ बोल रहा है या फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखा रहा है।”

यह मामला उस समय सामने आया है जब मैसाचुसेट्स स्थित टफ्ट्स विश्वविद्यालय की एक तुर्की पीएचडी छात्रा रूमेसा ओजटर्क को भी एक अन्य हाई-प्रोफाइल मामले में हिरासत से रिहा किया गया है। सूरी, ओजटर्क और अन्य मामलों ने शैक्षणिक जगत में यह चिंता उत्पन्न कर दी है कि अमेरिका में शोध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है, खासकर रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शासनकाल में।

हालांकि, अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की प्रवक्ता ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने सूरी की गिरफ्तारी के समय सोशल मीडिया पर कहा था कि वह “सक्रिय रूप से हमास का प्रचार कर रहे थे और यहूदी विरोधी भावना फैला रहे थे।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सूरी का एक ऐसे व्यक्ति से करीबी संबंध था, जो हमास का वरिष्ठ सलाहकार और एक संदिग्ध आतंकवादी है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सूरी की पत्नी सालेह, अहमद यूसुफ़ की बेटी हैं, जो हमास के नेता इस्माइल हनीयेह के पूर्व सलाहकार रह चुके हैं।

मैकलॉघलिन के अनुसार, सूरी को अमेरिकी आव्रजन कानून के तहत निर्वासित किया जा सकता है, यदि यह साबित हो जाए कि उनकी अमेरिका में मौजूदगी देश की विदेश नीति के लिए खतरा है। बता दें कि हमास को अमेरिका ने एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित कर रखा है।

यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, राजनीतिक विचारधारा, और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन को लेकर अमेरिकी समाज और न्याय व्यवस्था के सामने गंभीर सवाल खड़े करता है।

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