भले ही भारतीय कंपनियाँ देश के भीतर निवेश करने को लेकर अधिक सतर्क होती जा रही हैं और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य भी अनिश्चित बना हुआ है, फिर भी भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में बढ़ते प्रत्यक्ष निवेश की प्रवृत्ति पर ध्यान देना आवश्यक है। यह बात वित्त मंत्रालय ने अपनी हालिया मासिक आर्थिक समीक्षा (MER) में कही है।
विदेशों में निवेश में 75% की वृद्धि
‘द हिंदू’ द्वारा पहले दी गई जानकारी के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़े दर्शाते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय कंपनियों ने विदेशों में कुल $29.2 बिलियन का प्रत्यक्ष निवेश किया। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 75% अधिक है और भारत के शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को केवल $0.4 बिलियन तक सीमित कर देने का प्रमुख कारण भी बना, जो पिछले वर्ष की तुलना में 96% की गिरावट है।
देश के भीतर निवेश को लेकर सतर्कता
मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में FDI में लगभग $12.5 बिलियन की वृद्धि दर्ज की गई है। यह विशेष रूप से इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि देश के भीतर निवेश को लेकर कंपनियों का रुख सतर्क बना हुआ है।”
CMIE के आंकड़ों से संकेत मिलते हैं
निजी शोध संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय निजी क्षेत्र अपने निवेश निर्णयों में अधिक सतर्क होता जा रहा है। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि नई परियोजनाओं की तुलना में रद्द की गई परियोजनाओं का अनुपात बढ़ता जा रहा है।
‘द हिंदू’ द्वारा CMIE के डेटा के विश्लेषण से यह सामने आया है कि छोड़ी गई परियोजनाओं का अनुपात 2022-23 में 21.8% था, जो 2023-24 में बढ़कर 30.8% और फिर 2024-25 में 36% तक पहुँच गया। यह बढ़ती प्रवृत्ति उस पूर्व की गिरावट को पलट रही है जो 2018-19 से देखी जा रही थी।
MoSPI सर्वेक्षण भी दर्शाता है सतर्कता
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा किए गए एक हालिया फॉरवर्ड-लुकिंग सर्वेक्षण से भी इस सतर्क दृष्टिकोण की पुष्टि होती है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में इस सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया गया है कि भारतीय कॉरपोरेट्स आने वाले वित्तीय वर्ष में पूंजी निवेश को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं।
सर्वे के अनुसार, भारतीय कंपनियाँ 2024-25 में ₹6.6 लाख करोड़ का पूंजीगत निवेश करने की योजना बना रही हैं, जो 2023-24 में किए गए ₹4.2 लाख करोड़ के निवेश से 57% अधिक है। हालांकि, 2025-26 के लिए यह आकांक्षा घटकर ₹4.9 लाख करोड़ तक सीमित रह जाने की उम्मीद है।
MER का निष्कर्ष
मासिक आर्थिक समीक्षा (MER) में कहा गया है, “वित्त वर्ष 2026 के लिए अपेक्षाकृत कम निवेश योजना, हालांकि अभी भी वित्त वर्ष 2024 के स्तर से ऊपर है, वित्त वर्ष 2025 में हुए मजबूत निवेश के बाद एक सतर्क योजना को दर्शाती है।” रिपोर्ट के अनुसार, यह पूरी प्रवृत्ति उभरती वैश्विक परिस्थितियों में भारतीय कॉरपोरेट्स के बीच बढ़ते आत्मविश्वास के साथ-साथ निवेश के प्रति उनके विवेकपूर्ण दृष्टिकोण को उजागर करती है।
यह स्पष्ट है कि भले ही घरेलू निवेश को लेकर भारतीय कंपनियाँ सतर्क हैं, लेकिन विदेशों में उनके बढ़ते निवेश को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह एक बदलते कॉरपोरेट दृष्टिकोण और वैश्विक विस्तार की बढ़ती आकांक्षा की ओर संकेत करता है, जिसे नीति निर्माताओं और विश्लेषकों को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है।