Sunday, November 16, 2025

बेंगलुरु में भारी बारिश से जलभराव, कचरे के कारण नालियाँ जाम, स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा

बेंगलुरु में बीते तीन दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने शहर को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बारिश ने न केवल जगह-जगह जलभराव की स्थिति पैदा की है, बल्कि अब यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनती जा रही है। शहर की नालियाँ और जल निकासी तंत्र कचरे के अंबार से बुरी तरह अवरुद्ध हो चुके हैं, जिससे पानी का बहाव रुक गया है और जलस्तर लगातार बना हुआ है।

कचरे ने रोका पानी का बहाव

20 मई, मंगलवार को द न्यूज़ मिनट (TNM) ने जेडी मारा, बिलेखाहल्ली और बन्नेरघट्टा रोड के जलभराव प्रभावित इलाकों का दौरा किया। रिपोर्ट में सामने आया कि बारिश के साथ जमा हुआ कचरा पानी के निकासी मार्ग को पूरी तरह रोक चुका है। इसका सीधा असर ट्रैफिक पर पड़ा है और कई जगहों पर गंभीर जाम की स्थिति बन गई है।

जेडी मारा में वेगा सिटी मॉल के पास झुग्गी बस्तियों और भीड़भाड़ वाले स्थानीय बाजारों की स्थिति बेहद खराब है। कूड़े की दुर्गंध पहले ही इलाके में दस्तक देती है। टीन की चादरों से बने घरों के ठीक बगल में कचरे के ढेर लगे हुए हैं, और बारिश के चलते ये कचरा कई घरों के अंदर तक घुस गया है। स्थानीय निवासी खुद ही अपने घरों से पानी बाहर निकालते नजर आए, क्योंकि किसी भी सरकारी एजेंसी से कोई मदद नहीं पहुँची थी।

हर साल की वही कहानी

एक घरेलू कामगार और निवासी सरोजम्मा ने बताया, “हर साल यही होता है। जैसे ही बारिश शुरू होती है, कोनों में फेंका गया कचरा नालियों को जाम कर देता है और गंदा पानी हमारे घरों में भर जाता है। हम पूरी रात जागकर पानी निकालते रहते हैं, लेकिन कोई हमारी सुनता नहीं।”

यह झुग्गी बस्ती वेगा सिटी मॉल के नजदीक है और आसपास की ऊँची इमारतों से मुश्किल से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके बावजूद, निवासियों का कहना है कि उनका इलाका जैसे प्रशासन की नजरों से गायब हो गया है। लता नाम की एक महिला ने कहा, “हमारी झुग्गी मानो एक अंधी जगह बन गई है। हर बार बारिश होती है और मेरे तीन बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। मच्छरों की भरमार है, और बच्चों को बार-बार संक्रमण और त्वचा संबंधी बीमारियाँ हो जाती हैं।”

बन्नेरघट्टा रोड पर बुरा हाल

बन्नेरघट्टा रोड और देवराचिक्कनहल्ली के कई हिस्सों की सड़कों ने नालों का रूप ले लिया है। कचरा यहाँ भी नालियों और गटरों को जाम कर रहा है, जिससे सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया है। यहाँ से गुजरने वाले वाहनों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि फुटपाथ तक डूबे हुए हैं, और अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि पानी कितना गहरा है।

बन्नेरघट्टा रोड पर मौजूद अपोलो और फोर्टिस अस्पताल के प्रवेश द्वार भी जलमग्न हो गए हैं। फोर्टिस अस्पताल के एक सुरक्षा गार्ड सुरेश ने बताया, “कल रात पानी का स्तर इतना बढ़ गया था कि गाड़ियों की आवाजाही लगभग नामुमकिन हो गई थी। मुझे खुद एंबुलेंस को रास्ता दिलाने के लिए सड़क पर खड़ा होना पड़ा।”

20 मई की सुबह, फोर्टिस अस्पताल के सामने ट्रैफिक पुलिस ने लाल बैरिकेड्स लगा दिए। हालांकि, पानी में डूबे बैरिकेड्स को देखकर यह समझना मुश्किल था कि उन्हें किस मकसद से लगाया गया है। गाड़ियाँ लगातार उस रास्ते से गुजरती रहीं, कुछ तो बैरिकेड्स के बहुत करीब पहुँच गईं।

सुरेश ने सवाल उठाते हुए कहा, “जब पानी निकालने के लिए नगर निगम से कोई नहीं आया है, तो बैरिकेड लगाने का क्या मतलब? यहाँ दो बड़े अस्पताल हैं, और आपातकालीन स्थितियों में इन रास्तों का साफ रहना बेहद ज़रूरी है। लेकिन एंबुलेंसें या तो ट्रैफिक में फँसी हैं या दूसरे रास्तों की तलाश कर रही हैं।”

BBMP नदारद

सड़क के दूसरी ओर, BBMP (बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका) पिछले कई हफ्तों से सड़क निर्माण का कार्य कर रही थी। लेकिन अब, जब शहर को सबसे ज्यादा उनकी जरूरत है, कोई भी कर्मचारी मौके पर नज़र नहीं आ रहा है। सुरेश ने निराशा जताते हुए कहा, “जब हमें उनकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है, तब वे कहीं नज़र नहीं आ रहे।”

बेंगलुरु जैसे महानगर में हर साल इसी तरह की स्थिति सामने आना प्रशासन की विफलता को उजागर करता है। जलनिकासी व्यवस्था की अनदेखी, कचरा प्रबंधन की लापरवाही और आम नागरिकों की परेशानियों को दरकिनार कर देने की प्रवृत्ति ने इस समस्या को बार-बार जन्म दिया है। यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह स्थिति केवल बिगड़ती ही जाएगी — और इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा आम नागरिकों को।

Latest news
Related news