Tuesday, October 21, 2025

बेंगलुरु के थिएटरों ने ‘ठग लाइफ’ की सुरक्षित रिलीज के लिए हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग की

कमल हासन की बहुप्रतीक्षित तमिल फिल्म ठग लाइफ की देशव्यापी रिलीज़ से कुछ ही दिन पहले बेंगलुरु के कई सिनेमाघरों ने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। थिएटरों ने फिल्म की निर्धारित रिलीज़ तिथि 5 जून को निर्बाध रूप से प्रदर्शित करने के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

राजकमल फिल्म्स इंटरनेशनल द्वारा दायर रिट याचिका (डब्ल्यूपी नंबर 15589/2025) में अब बेंगलुरु के कुछ थिएटर पक्षकार बनने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई है कि उन्हें याचिका में शामिल किया जाए ताकि वे अपनी ओर से फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान उत्पन्न हो रही चुनौतियों को अदालत के सामने रख सकें।

थिएटरों ने दावा किया है कि कन्नड़ समर्थक समूहों की ओर से मिल रही धमकियों, हिंसा की चेतावनियों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसी धमकियों के कारण उन्हें सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं हैं। उन्होंने आशंका जताई है कि यदि फिल्म की रिलीज तय समय पर नहीं होती, तो उन्हें भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है, खासकर पायरेसी की बढ़ती संभावना के कारण।

एक प्रमुख थिएटर चेन की ओर से उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा दायर आवेदन में यह कहा गया है कि वे दो दशकों से अधिक समय से बेंगलुरु के दर्शकों को लगातार मनोरंजन प्रदान कर रहे हैं और उन्होंने ठग लाइफ की स्क्रीनिंग के लिए व्यापक तैयारी की है। इसमें मार्केटिंग, लॉजिस्टिक्स और वितरण की योजनाएं भी शामिल हैं।

थिएटरों ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें किसी भी डर या धमकी के बिना व्यवसाय करने का अधिकार है। साथ ही उन्होंने अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने की राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी का भी उल्लेख किया।

अपनी याचिका में थिएटरों ने अदालत से आग्रह किया है कि वह बेंगलुरु पुलिस और स्थानीय प्रशासन को निर्देश दे कि वे सिनेमाघरों को समर्पित सुरक्षा प्रदान करें और फिल्म की शांतिपूर्ण स्क्रीनिंग सुनिश्चित करें। साथ ही उन्होंने एक तत्काल अंतरिम आदेश की मांग की है ताकि वे बिना किसी रुकावट या खतरे के फिल्म को समय पर प्रदर्शित कर सकें।

ठग लाइफ को लेकर जहां एक ओर दर्शकों में उत्साह है, वहीं दूसरी ओर इस विवाद ने इसकी रिलीज को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। अब सबकी निगाहें कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय पर टिकी हैं।

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