Sunday, December 22, 2024

बांग्लादेश में इस्कॉन के 17 सदस्यों के बैंक खाते फ्रीज, एक सदस्य पर देशद्रोह का आरोप

बांग्लादेश के अधिकारियों ने अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों को 30 दिनों के लिए फ्रीज करने का आदेश दिया है। इनमें संगठन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास भी शामिल हैं, जिन्हें हाल ही में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी शुक्रवार को मीडिया रिपोर्टों में सामने आई।

यह कदम बांग्लादेश उच्च न्यायालय द्वारा इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज करने के बाद उठाया गया। याचिका एक वकील की हत्या की घटना के बाद दायर की गई थी, जो हिंदू नेता के समर्थकों और सुरक्षा कर्मियों के बीच झड़प के दौरान हुई थी।

आर्थिक लेन-देन पर रोक
बांग्लादेश वित्तीय खुफिया इकाई (बीएफआईयू) ने गुरुवार को बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया कि इन व्यक्तियों के खातों से किसी भी प्रकार का लेन-देन अगले एक महीने तक निलंबित रखा जाए। वित्तीय संस्थानों को इन खातों का अद्यतन विवरण तीन कार्य दिवसों के भीतर जमा करने को कहा गया है।

देशद्रोह का मामला और गिरफ्तारी
30 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया। आरोप है कि हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान चटगांव के न्यू मार्केट इलाके में उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। दास को सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था।

चटगांव की एक अदालत ने मंगलवार को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें जेल भेज दिया। इसके बाद उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

भारत की प्रतिक्रिया और शेख हसीना की टिप्पणी
भारत ने इस्कॉन नेता की गिरफ्तारी और जमानत नामंजूर किए जाने पर चिंता जताई। भारत ने बांग्लादेश से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग की और उनके समर्थकों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों के दौरान वकील की हत्या की निंदा की।

इस्कॉन का बयान और उच्च न्यायालय का फैसला
इस्कॉन बांग्लादेश ने वकील की हत्या के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये आरोप दुर्भावनापूर्ण अभियान का हिस्सा हैं।
बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि वर्तमान स्थिति सरकार के हस्तक्षेप की मांग करती है और सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सतर्क रहना चाहिए।

हिंदू समुदाय की घटती संख्या और सुरक्षा चिंता
1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश की आबादी में हिंदू समुदाय का हिस्सा 22 प्रतिशत था, जो अब घटकर 8 प्रतिशत रह गया है। विभिन्न हिस्सों में हिंदू समुदाय के खिलाफ अत्याचारों की रिपोर्टें लगातार सामने आ रही हैं।
इसके साथ ही, जमात-ए-इस्लामी जैसे चरमपंथी संगठनों के बढ़ते प्रभाव ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

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