Wednesday, January 22, 2025

प्रयागराज में महाकुंभ: आध्यात्मिक और आर्थिक लाभ का संगम

प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ ने न केवल शहर को आध्यात्मिक महत्त्व प्रदान किया है, बल्कि आर्थिक रूप से भी इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। करोड़ों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की उपस्थिति ने शहर के आतिथ्य, खाद्य पदार्थ, ऊनी वस्त्र, कंबल, गद्दे, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार को अभूतपूर्व बढ़ावा दिया है। व्यापारिक गतिविधियों में 30-40 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है।

व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि

महाकुंभ के चलते खुदरा और थोक व्यापार में अभूतपूर्व उछाल देखने को मिला है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के उत्तर प्रदेश चैप्टर के अनुसार, महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा उपयोग की जाने वाली दैनिक आवश्यक वस्तुओं से 17,310 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है।

CAIT यूपी चैप्टर के अध्यक्ष महेंद्र कुमार गोयल के अनुसार, पूजा सामग्री से लगभग 2,000 करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है। इसके अलावा, फूलों के व्यापार से 800 करोड़ रुपये और गेहूं के आटे, चीनी, चाय, मसाले और किराने के अन्य सामान से 4,000 करोड़ रुपये का व्यापार होने की संभावना है। खाद्य तेल 1,000 करोड़ रुपये, सब्जियां 2,000 करोड़ रुपये और बिस्तर, गद्दे, चादर जैसे घरेलू सामान 500 करोड़ रुपये के व्यापार में योगदान देंगे।

दूध, डेयरी और यात्रा सेवाओं का योगदान

दूध और डेयरी उत्पादों से 4,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है, जबकि हीटर और ब्लोअर से 50 करोड़ रुपये, जलाऊ लकड़ी से 50 करोड़ रुपये और प्लास्टिक के जेरीकैन से 60 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है। आतिथ्य क्षेत्र 2,500 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि कार किराए पर लेने और ई-रिक्शा सहित यात्रा सेवाएं 300 करोड़ रुपये का योगदान देंगी। नाविक सेवाएं और अन्य वस्तुएं क्रमशः 50 करोड़ रुपये और 300 करोड़ रुपये के व्यापार में योगदान देंगी।

सूखे मेवे और प्रसाद का विशेष महत्त्व

महाकुंभ में प्रसाद और मिठाइयों में सूखे मेवों की मांग सबसे अधिक रही है। स्थानीय थोक व्यापारी अभिषेक मित्तल ने बताया कि इस आयोजन के दौरान करीब 250 टन सूखे मेवों की खपत का अनुमान है। शुरुआती चरण में 120 टन की आपूर्ति पहले ही हो चुकी है। इन मेवों में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और कैलिफोर्निया से बादाम, गोवा, केरल और कर्नाटक से काजू, और बिहार से मखाना शामिल हैं। पिस्ता ईरान, तुर्की और अमेरिका से आयात किया जा रहा है, जबकि खजूर सऊदी अरब, इराक और ईरान से मंगाए जा रहे हैं।

व्यापारियों और साधुओं की सराहना

महाकुंभ के दौरान व्यापारियों ने समय पर स्टॉक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुशल रसद योजनाओं का उपयोग किया है। थोक व्यापारी केके वर्मा ने बताया कि विश्वसनीय परिवहन साझेदारियों और बल्क ऑर्डर की मदद से समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। साधु-संतों ने भी इन तैयारियों की प्रशंसा की। अनुभवी साधु गोपाल दास ने कहा, “व्यापारियों ने इस महाकुंभ को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”

आस्था और व्यापार का मेल

प्रयागराज में महाकुंभ ने न केवल शहर की आध्यात्मिक महत्ता को बढ़ावा दिया है, बल्कि इसे आर्थिक प्रगति का केंद्र भी बनाया है। आस्था और व्यापार के इस संगम ने न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है, बल्कि भविष्य के आयोजनों के लिए नए मानक भी स्थापित किए हैं।

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