पाकिस्तान ने भारत से अपील की है कि वह सिंधु जल संधि (IWL) को स्थगित रखने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे। पाकिस्तान का कहना है कि इस संधि पर लाखों लोगों की आजीविका निर्भर है और यह 1960 से जल बंटवारे को नियमित कर रही है।
भारत को भेजा गया अनुरोध-पत्र
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत की जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी को पत्र लिखकर यह अपील की है। हालांकि, यह पत्र पूरी तरह से अनुरोध की भाषा में नहीं लिखा गया है। इसमें भारत के कदम को “एकतरफा और अवैध” करार दिया गया है और इसे “पाकिस्तान की जनता और उसकी अर्थव्यवस्था पर हमला” बताया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, यह पत्र संभवतः “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान भारत को सौंपा गया था।
भारत की प्रतिक्रिया और संधि पर रुख
भारत सरकार ने इस पत्र पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह पत्र 23 अप्रैल को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी द्वारा लिए गए निर्णय पर कोई असर नहीं डालेगा। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों की हत्या के जवाब में संधि को निलंबित रखने का फैसला किया गया था।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” भारत ने संधि को निलंबित रखने के फैसले को अवैधानिक कहे जाने के पाकिस्तान के आरोप को खारिज कर दिया है।
पाकिस्तान को अनियमित जल प्रवाह से दिक्कत
संधि के निलंबन के बाद भारत अब पाकिस्तान के साथ जल प्रवाह या गेट खोलने से संबंधित कोई भी डेटा साझा करने के लिए बाध्य नहीं है। इस कारण पाकिस्तान आगामी बुवाई के मौसम से पहले जल प्रवाह में अनियमितता का सामना कर रहा है।
हाल ही में भारत ने जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर स्थित बगलिहार और सलाल जलविद्युत परियोजनाओं के जलाशयों से गाद हटाने का कार्य किया, जिससे नदी के प्रवाह में नीचे की ओर बाधा और अनियमितता आई है।
भारत का पक्ष और संधि पर पुनर्विचार
सरकारी सूत्रों के अनुसार, संधि में पुनर्विचार का प्रावधान है और परिस्थितियां अब पहले जैसी नहीं रहीं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद का सहारा लेकर भारत को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है, जिससे संधि की मूल भावना और आधार को ठेस पहुंची है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने टीओआई को बताया, “यह संधि सद्भावना और अच्छे पड़ोसी की भावना से की गई थी। हम इस पर कायम रहे, भले ही इसमें भारत के खिलाफ खामियां थीं। लेकिन पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों पर लगाम लगाने से इनकार इस संधि के नैतिक आधार को कमजोर करता है।”
साथ ही, जलवायु परिवर्तन और अन्य जमीनी हकीकतों को देखते हुए बांधों और जल संसाधन परियोजनाओं के डिज़ाइन पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। भारत के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ये बदलाव संधि में वर्णित “परिस्थितियों में बदलाव” के प्रावधानों को पूरा करते हैं, जो यह दर्शाता है कि भारत संधि पर पुनर्विचार न करने के अपने रुख पर दृढ़ है।
सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। जहां पाकिस्तान इसे जीवनरेखा मानते हुए भारत से पुनर्विचार की गुहार लगा रहा है, वहीं भारत इसे बदलती परिस्थितियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र निलंबित रखने के पक्ष में है।

