पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में दो युद्धरत जनजातियों के बीच संघर्ष विराम समझौता हो गया है। इस संघर्ष में अब तक 130 लोगों की मौत हो चुकी है। जिले के उपायुक्त जावेदउल्ला महसूद ने रविवार को पुष्टि की कि संघर्ष क्षेत्रों में शांति स्थापित हो गई है।
संघर्ष की शुरुआत
अलीजई और बागान जनजातियों के बीच यह संघर्ष 22 नवंबर को पाराचिनार के पास एक यात्री वैन के काफिले पर हमले के बाद शुरू हुआ था। इस हमले में पहले दिन 47 लोगों की मौत हुई थी, जबकि बाद में गंभीर रूप से घायल हुए कई अन्य यात्रियों ने भी दम तोड़ दिया। काफिले पर हमले के बाद मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 57 हो गई। कुल मिलाकर, इस हिंसा में मरने वालों की संख्या अब 130 तक पहुंच गई है।
ग्यारह दिनों तक जारी रही हिंसा
संघर्ष लगातार 11 दिनों तक जारी रहा। रविवार को भी हिंसा में कम से कम छह लोग मारे गए और आठ अन्य घायल हो गए। उपायुक्त महसूद ने बताया कि प्रशासन ने संघर्षरत जनजातियों के बीच स्थायी संघर्ष विराम कराने में सफलता हासिल की है।
शांति बहाल करने के प्रयास
डिप्टी कमिश्नर ने बयान में कहा कि जिरगा (आदिवासी नेताओं की परिषद) शांति समझौते पर हस्ताक्षर कराने और बंद सड़कों को फिर से खोलने के लिए बुजुर्गों से बात करेगी। महसूद ने यह भी बताया कि हथियारबंद आदिवासियों को उनकी फायरिंग पोस्ट से हटा दिया गया है। इस क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
संचार और व्यापार ठप
इस हिंसा के चलते कुर्रम जिले में संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं, और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। मुख्य राजमार्ग बंद होने से न केवल स्थानीय परिवहन प्रभावित हुआ है, बल्कि अफगानिस्तान के साथ व्यापार भी बाधित हो गया है। खारलाची सीमा पर व्यापारिक गतिविधियां पूरी तरह रुक गई हैं।
पूर्व प्रयास विफल
नवंबर में प्रांतीय अधिकारियों द्वारा मध्यस्थता किए गए सात और दस दिनों के युद्धविराम प्रयास विफल रहे थे। इसके बाद क्षेत्र में हिंसा फिर से भड़क उठी।
उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल की भूमिका
खैबर पख्तूनख्वा के मुख्य सचिव नदीम असलम चौधरी और आईजीपी अख्तर हयात गंदापुर सहित एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताहांत युद्धविराम के लिए बातचीत की थी। हालांकि, वार्ता के तुरंत बाद ही हिंसा फिर से शुरू हो गई थी।
मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप
खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने भी क्षेत्र में शांति बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने अधिकारियों को प्रतिद्वंद्वी जनजातियों के डगआउट को ध्वस्त करने और उनके हथियार जब्त करने का निर्देश दिया।
भव्य जिरगा का आयोजन
रविवार को कोहाट जिले में एक भव्य जिरगा का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिद्वंद्वी जनजातियों के बुजुर्गों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री ने इस दौरान क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए सख्त निर्देश दिए।
यह संघर्ष विराम समझौता हिंसा और अस्थिरता से जूझ रहे कुर्रम जिले में शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।