Sunday, October 26, 2025

पहलगाम के गाइड बने छत्तीसगढ़ भाजपा कार्यकर्ता के लिए देवदूत

दक्षिण कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के दौरान वहां मौजूद छत्तीसगढ़ भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ता अरविंद अग्रवाल के लिए एक स्थानीय गाइड नजाकत अहमद शाह किसी देवदूत से कम नहीं साबित हुए। अरविंद ने बताया कि इस भयावह हमले के बीच नजाकत ने न केवल उनके परिवार की जान बचाई, बल्कि बहादुरी की मिसाल भी पेश की।

हालांकि, इस हमले में नजाकत को अपने चचेरे भाई सैयद आदिल हुसैन शाह (30) को खोना पड़ा, जो पर्यटकों को घोड़े पर सवारी कराता था। बताया गया कि आतंकवादियों को रोकने की कोशिश करते समय उन्हें गोली मार दी गई। इस हमले में 25 पर्यटक और एक स्थानीय व्यक्ति की जान गई।

मंगलवार को हुए इस हमले को याद करते हुए अरविंद अग्रवाल (35) ने कहा कि जैसे ही गोलीबारी शुरू हुई, अन्य पर्यटक किसी तरह जान बचाकर भाग निकले, लेकिन उनकी पत्नी पूजा और चार साल की बेटी उनसे थोड़ी दूरी पर थीं।

छत्तीसगढ़ के चिरिमिरी कस्बे के निवासी अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा,

“सब कुछ शांतिपूर्ण था और मैं तस्वीरें ले रहा था। तभी अचानक गोलियों की आवाज़ आने लगी। मेरी पत्नी और बेटी मुझसे कुछ दूर थीं, और उनके साथ हमारा गाइड नजाकत भी था। उनके साथ एक और दंपति और उनका बच्चा भी था।”

अग्रवाल ने आगे बताया,

“जैसे ही गोलीबारी शुरू हुई, नजाकत ने सभी को ज़मीन पर लेटने को कहा और मेरी बेटी और दोस्त के बेटे को अपने गले से लगाकर उन्हें ढक लिया। इससे उनकी जान बच गई। फिर वह सभी को एक सुरक्षित जगह ले गया और इसके बाद मेरी पत्नी को ढूंढ़ने के लिए वापस लौटा।”

करीब एक घंटे तक अग्रवाल को यह नहीं पता था कि उनका परिवार सुरक्षित है या नहीं। बाद में अस्पताल में जाकर उन्हें अपनी पत्नी और बेटी से मिलने का सुकून मिला।

उन्होंने कहा,

“मुझे नहीं पता कि अगर नजाकत वहां नहीं होता तो क्या होता। मेरी पत्नी के कपड़े तक फट गए थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे कपड़े दिए।”

वहीं, नजाकत ने इस भयावह अनुभव को याद करते हुए कहा,

“हम जहां खड़े थे, वहां से लगभग 20 मीटर दूर ज़िपलाइन के पास गोलीबारी हो रही थी। सबसे पहले मैंने सभी को ज़मीन पर लेटने को कहा। फिर मैंने बाड़ में एक दरार देखी और बच्चों को उस ओर ले गया। हम आतंकवादियों के पास पहुंचने से पहले ही भाग निकले।”

बच्चों और अन्य लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाने के बाद नजाकत वापस लौटे और देखा कि पूजा दूसरी दिशा में भाग गई थीं। उन्होंने बताया,

“मैं उन्हें लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर पाया और अपनी कार में बैठाकर वापस लाया। इसके बाद उन्हें सुरक्षित श्रीनगर ले गया।”

लेकिन जैसे ही वे श्रीनगर पहुंचे, उन्हें एक दर्दनाक खबर मिली —

“मुझे बताया गया कि मेरे चचेरे भाई आदिल, जो घुड़सवारी करते थे, हमले में मारे गए।”

इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए नजाकत ने कहा,

“पर्यटन हमारी आजीविका का साधन है। इसके बिना हम बेरोजगार हो जाएंगे और हमारे बच्चों की पढ़ाई रुक जाएगी। ये हमला हमारे दिल पर वार की तरह है। हमने विरोध स्वरूप अपनी दुकानें और कारोबार बंद कर दिए हैं। हम अपने अतिथि सत्कार के लिए जाने जाते हैं, और मुझे विश्वास है कि पर्यटक फिर आएंगे। बस सुरक्षा बलों को और ज्यादा सतर्क रहना होगा।”

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