22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के कुछ सप्ताह बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाटी का दौरा किया। यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही, क्योंकि इसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर के बुनियादी ढांचे को नया आकार देने वाली कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
मुख्य आकर्षण: उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक (USBRL)
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का केंद्र बिंदु था 272 किलोमीटर लंबी उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक (USBRL) परियोजना का उद्घाटन। यह परियोजना बीते तीन दशकों से निर्माणाधीन थी और अब अपने अंतिम चरण में पूरी हो चुकी है।
इस ऐतिहासिक परियोजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री ने दो विशेष संरचनाओं का उद्घाटन किया:
- चेनाब रेल पुल: यह पुल अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क बन गया है। चेनाब नदी से 359 मीटर ऊपर स्थित यह पुल एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा है।
- अंजी ब्रिज: यह भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे पुल है, जो कटरा-बनिहाल खंड पर स्थित है।
वंदे भारत एक्सप्रेस को दिखाई हरी झंडी
पीएम मोदी ने बारामुल्ला और कटरा के बीच चलने वाली दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई। ये सेवाएं 7 जून से शुरू होंगी और सप्ताह में छह दिन यात्रियों को सेवा देंगी।
हमले के बाद सशक्त संदेश
प्रधानमंत्री की यह यात्रा न केवल विकास की दृष्टि से बल्कि रणनीतिक संदेश देने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में गहरा रोष व्याप्त था। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने कहा था:
“आतंकवाद के खिलाफ भारत की एकजुटता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि भारत की प्रतिक्रिया निर्णायक होगी और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
इस दौरे से पहले केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी, जो नियंत्रण रेखा पार स्थित आतंकी ढांचों को निशाना बनाने वाला एक आक्रामक अभियान है।
इंजीनियरिंग की अद्वितीय उपलब्धियाँ
चेनाब पुल की लागत लगभग ₹1,486 करोड़ रुपये है और इसे 120 वर्षों तक टिकाऊ रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह पुल 260 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं को झेलने की क्षमता रखता है।
प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक पुल पर चढ़कर कटरा तक ट्रेन यात्रा भी की और इस दौरान अंजी ब्रिज का निरीक्षण किया। उन्होंने परियोजना से जुड़े इंजीनियरों और सेवानिवृत्त कर्मियों से भी संवाद किया।
USBRL का इतिहास और प्रगति
- 1994: परियोजना को वी. नरसिम्हा राव सरकार द्वारा मंजूरी मिली।
- 2002: अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने निर्माण कार्य शुरू किया।
- अब तक पूरे हुए चरण:
- 2009: काजीगुंड–बारामुल्ला (118 किमी)
- 2013: बनिहाल–काजीगुंड (18 किमी)
- 2014: उधमपुर–कटरा (25 किमी)
- 2024: बनिहाल–संगलदान (48.1 किमी)
- 2024 के अंत में: संगलदान–रियासी (46 किमी) खंड भी पूरा हुआ।
कटरा से बनिहाल खंड सबसे चुनौतीपूर्ण रहा, जिसमें कुल 97.4 किलोमीटर सुरंगें और 49 पुल शामिल हैं। इसमें भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग टी-50 भी शामिल है, जिसकी लंबाई 12.77 किलोमीटर है।
सुरक्षा और तकनीकी विशेषताएं
- सभी सुरंगें और पुल CCTV निगरानी और अग्नि सुरक्षा से लैस हैं।
- USBRL परियोजना में कुल 943 पुल और 36 सुरंगें शामिल हैं।
- परियोजना अब तक ₹43,780 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है।
पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, “बारामुल्ला से जम्मू तक पाँच टर्मिनल बनाए जा रहे हैं, जो स्थानीय फलों, हस्तशिल्प और अन्य उत्पादों के परिवहन को आसान बनाएंगे।”
हाल ही में कश्मीर से रेल के जरिए चेरी भेजने का प्रयोग सफल रहा, और यह मॉडल अब अन्य कृषि उत्पादों के लिए भी अपनाया जाएगा।
रेलवे कनेक्टिविटी के विस्तार से जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर निर्भरता कम होगी, जो अक्सर भूस्खलन या हिमपात के कारण बाधित रहता है। इससे हवाई यात्रा की अधिक कीमतों से भी राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी की यह कश्मीर यात्रा केवल एक राजनीतिक या विकासात्मक कदम नहीं है, बल्कि यह भारत की आतंक के विरुद्ध प्रतिबद्धता, रणनीतिक मजबूती और राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है। दशकों से अधूरी पड़ी परियोजनाओं का पूरा होना देश के उस दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, जो सबसे कठिन भूगोल और हालात में भी अपने नागरिकों को जोड़ने और सशक्त बनाने के लिए काम कर रहा है।