ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी की जमानत याचिका को एक बार फिर खारिज कर दिया है। यह दसवीं बार है जब उनकी जमानत याचिका अस्वीकार की गई है। इस बार मोदी ने अपनी याचिका में हथियार डीलर संजय भंडारी के मामले का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी, लेकिन न्यायालय ने इसे गैर-प्रासंगिक मानते हुए खारिज कर दिया।
न्यायाधीश माइकल फोर्डहम ने 15 मई को दिए गए अपने आदेश में कहा कि भंडारी मामले का मोदी की याचिका से कोई विशेष संबंध नहीं बनता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भंडारी का मामला भारत में पुलिस पूछताछ के संभावित जोखिम से जुड़ा था, जबकि नीरव मोदी के मामले में फरार होने और गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने का खतरा प्रमुख है।
नीरव मोदी का तर्क और अदालत की प्रतिक्रिया
नीरव मोदी ने अपनी जमानत की याचिका में कहा कि भंडारी का निर्णय उनके लिए एक “नई उम्मीद की किरण” है और उसी आधार पर उन्हें भी जमानत मिलनी चाहिए। लेकिन न्यायाधीश ने इसे खारिज करते हुए कहा कि भंडारी के मामले की परिस्थितियाँ पूरी तरह भिन्न थीं।
न्यायाधीश फोर्डहम ने कहा:
“इसके विपरीत, मुझे पर्याप्त आधार नजर आते हैं कि यदि जमानत दी जाती है, तो आवेदक (नीरव मोदी) आत्मसमर्पण करने में विफल रहेगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जमानत मिलने पर मोदी के गवाहों के साथ हस्तक्षेप करने की आशंका भी बनी हुई है, जो इस निर्णय का द्वितीयक आधार है। प्राथमिक आधार मोदी के फरार होने का खतरा है।
CBI और ED की दलीलें
भारत की ओर से क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) के वकील निकोलस हर्न ने अदालत को बताया कि नीरव मोदी को यदि जमानत दी जाती है, तो उनके पास:
- गवाहों को प्रभावित करने,
- साक्ष्य नष्ट करने, और
- भारी वित्तीय संसाधनों तक पहुंच
जैसे खतरे बने रहेंगे।
भारत सरकार ने यह भी कहा कि मोदी ने 1.015 अरब डॉलर की धोखाधड़ी की, जिसमें से केवल 405 मिलियन डॉलर की अब तक वसूली हो पाई है। शेष 600 मिलियन डॉलर अभी भी बरामद किए जाने हैं। न्यायाधीश ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि सबूत यह दर्शाते हैं कि मोदी के पास आज भी वित्तीय संसाधनों तक पहुंच की क्षमता है।
पुराने अपराध और भागने की योजना
न्यायालय ने भारत द्वारा प्रस्तुत उन साक्ष्यों को भी स्वीकार किया जिनमें बताया गया कि:
- मोदी ने फरवरी और मार्च 2018 में गवाहों को विदेश भेजा (जैसे डमी निदेशकों को काहिरा),
- दुबई में फोन और कंप्यूटर नष्ट कराए,
- सहयोगियों की मदद से सबूत मिटाने की कोशिश की,
- और सीमाओं के पार जाकर साक्ष्य नष्ट करने की गतिविधियाँ कीं।
न्यायाधीश ने कहा कि ये आरोप साक्ष्य के आधार पर वस्तुनिष्ठ रूप से समर्थित हैं।
प्रत्यर्पण की स्थिति
नीरव मोदी को 19 मार्च 2019 को ब्रिटेन में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। तब से वह लंदन के वैंड्सवर्थ जेल में बंद हैं।
25 फरवरी 2021 को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उनके भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया, जिसे 9 नवंबर 2022 को यूके उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट में अपील की कोशिश भी असफल रही, जिससे उनके सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं।
हालांकि, प्रत्यर्पण की अंतिम प्रक्रिया ब्रिटिश सरकार के पास अभी भी लंबित है, जो कि कुछ गोपनीय कार्यवाहियों—संभवतः शरण के लिए किए गए अनुरोध—के कारण लंबी हो रही है।
इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि भंडारी मामले का हवाला देकर नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराधियों को जमानत नहीं दी जाएगी। ब्रिटेन की अदालतों ने भारत की जांच एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को पूरी तरह से प्रामाणिक और पर्याप्त माना है। मोदी की फरारी की योजना और साक्ष्य नष्ट करने की कोशिशें उसके जमानत की राह में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई हैं।