बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े द्वारा पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति जताई है।
रविवार को पवित्र स्नान के दौरान शास्त्री ने इस फैसले की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि ऐसी उपाधि केवल उन लोगों को दी जानी चाहिए जिनमें सच्चे संत की भावना हो। जी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, शास्त्री ने टिप्पणी की, “बाहरी प्रभाव के आधार पर किसी को संत या महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है?” उन्होंने यह भी कहा, “हम अब तक महामंडलेश्वर नहीं बन पाए हैं।”
इससे पहले ट्रांसजेंडर कथावाचक जगतगुरु हिमांगी सखी मां ने भी ममता कुलकर्णी की नियुक्ति की आलोचना की थी। एएनआई को दिए गए बयान में हिमांगी ने आरोप लगाया कि किन्नर अखाड़े ने कुलकर्णी के विवादास्पद अतीत, जिसमें कथित ड्रग मामलों की संलिप्तता शामिल है, को नजरअंदाज कर केवल प्रचार पाने के लिए यह फैसला लिया है। हिमांगी ने कहा, “ममता कुलकर्णी को प्रचार के लिए किन्नर अखाड़े ने महामंडलेश्वर बनाया है। समाज उनके अतीत को अच्छी तरह जानता है। अचानक, वह भारत आती हैं, महाकुंभ में भाग लेती हैं और उन्हें महामंडलेश्वर का पद दे दिया जाता है। इसकी जांच होनी चाहिए।”
हिमांगी ने इस फैसले के नैतिक पक्ष पर सवाल उठाते हुए पूछा, “आप सनातन धर्म को किस तरह का गुरु दे रहे हैं?”
ममता कुलकर्णी का जवाब
संगम घाट पर पिंडदान करने वाली ममता कुलकर्णी ने इन आरोपों के बीच अपना बचाव किया। उन्होंने कहा, “यह महादेव, महाकाली और मेरे गुरु का आदेश था। उन्होंने इस दिन को चुना। मैंने कुछ नहीं किया।”
पूर्व अभिनेत्री ने सांसारिक जीवन को त्यागने के बाद किन्नर अखाड़े में संन्यास लिया और अपना नाम बदलकर माई ममता नंद गिरि रख लिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके दीक्षा और पट्टाभिषेक (अभिषेक समारोह) को मान्यता देते हुए एक बयान जारी किया।
ममता कुलकर्णी ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाई और महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि उनकी आध्यात्मिक यात्रा 23 साल पहले कुपोली आश्रम में गुरु श्री चैतन्य गगन गिरि के मार्गदर्शन में शुरू हुई थी और महाकुंभ में उनका संन्यास इसी आध्यात्मिक पथ का चरम है।
कुलकर्णी ने कहा, “महाकुंभ के इस पवित्र क्षण का साक्षी बनना और संतों का आशीर्वाद प्राप्त करना मेरा सौभाग्य है।”
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया पर विचार
पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास ने इस नियुक्ति को लेकर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, “महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया बहुत सरल है। 13 अखाड़े हैं और हर एक के अपने अलग नियम हैं, लेकिन सेवा का केंद्रीय मूल्य सबसे महत्वपूर्ण है।”