यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले महीनों में धातु की कीमतों में लगातार वृद्धि के चलते थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वृद्धि जारी रहने की संभावना है।
हालांकि अप्रैल 2025 में WPI में गिरावट दर्ज की गई, लेकिन धातुओं की कीमतों ने लगातार बढ़त दिखाई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि धातुएं भविष्य में भी मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति को प्रभावित करती रहेंगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, “जहां अगले कुछ महीनों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि की आशंका है, वहीं धातुओं की कीमतें WPI पर दबाव बनाए रख सकती हैं।”
कोर WPI, जिसमें खाद्य और ईंधन को शामिल नहीं किया जाता, अप्रैल 2025 में घटकर 1.40 प्रतिशत रह गई, जो मार्च में 1.59 प्रतिशत थी। इस गिरावट के बावजूद, लोहा और इस्पात जैसी धातुओं की कीमतों में वृद्धि ने WPI के समग्र रुझान को प्रभावित किया।
रिपोर्ट के अनुसार, यह उस समय हुआ जब वैश्विक धातु सूचकांकों ने अलग रफ्तार दिखाई, संभवतः विभिन्न उप-क्षेत्रों में मूल्य परिवर्तनों के समय में अंतराल के कारण।
मुख्य WPI के अन्य हिस्सों में भी महीने-दर-महीने आधार पर वृद्धि देखी गई, जिसमें रसायन और रासायनिक उत्पाद, गढ़े हुए धातु उत्पाद (मशीनरी और उपकरण को छोड़कर), मशीनरी और उपकरण तथा अन्य निर्मित वस्तुएं शामिल हैं।
हालांकि, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और कागज व उससे संबंधित उत्पाद जैसे कुछ क्षेत्रों में महीने-दर-महीने गिरावट दर्ज की गई है।
मार्च 2025 में जहां हेडलाइन WPI 2.05 प्रतिशत थी, वहीं अप्रैल में यह घटकर 0.85 प्रतिशत पर आ गई, जो कि पिछले तेरह महीनों का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट मुख्य रूप से ईंधन सूचकांक में तेज गिरावट के कारण आई, जो वैश्विक तेल कीमतों में भारी गिरावट के चलते उत्पन्न हुई आर्थिक मंदी की आशंका से प्रभावित थी।
ईंधन WPI लगातार नकारात्मक बना रहा, मार्च में -1.10 प्रतिशत से गिरकर अप्रैल में -4.35 प्रतिशत तक पहुंच गया।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि आने वाले समय में WPI का रुझान खाद्य और कमोडिटी कीमतों, विशेष रूप से तेल और धातुओं की क्रमिक वृद्धि से प्रभावित रहेगा। यह वृद्धि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौते के बाद देखी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “भविष्य में, WPI में रुझान खाद्य और कमोडिटी कीमतों — खासकर तेल और धातुओं — की बढ़ती दरों से प्रभावित होंगे, जो अमेरिका-चीन व्यापार समझौते के बाद लगातार बढ़ रही हैं।”
जहां एक ओर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी धीमी होती दिखाई दे रही है, वहीं WPI में खाद्य मुद्रास्फीति का रुझान पलट गया है। यह संकेत देता है कि निकट भविष्य में मूल्य दबाव एक बार फिर उभर सकते हैं।

