सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली का दबाव देखने को मिला, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की संभावनाएं कमजोर पड़ती दिखीं। इसके साथ ही, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा धातु आयात पर टैरिफ लगाने की धमकी ने भी दलाल स्ट्रीट के निवेशकों को चिंता में डाल दिया। इस कदम से भारत जैसे बाजारों में स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों की डंपिंग की आशंका बढ़ गई। हालांकि, घरेलू ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल का मानना है कि दिल्ली चुनाव में भाजपा की निर्णायक जीत बाजार में सकारात्मक भावनाओं को जन्म दे सकती है और इससे एफआईआई प्रवाह में इजाफा होने की संभावना है।
भाजपा की जीत और निवेश धारणा पर प्रभाव
जेएम फाइनेंशियल के अनुसार, भाजपा की जीत राज्य में व्याप्त सत्ता विरोधी लहर के बावजूद हुई है। जबकि एग्जिट पोल्स ने भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी की थी, लेकिन वास्तविक नतीजे उससे कहीं अधिक बेहतर रहे। भाजपा ने 70 सीटों वाली विधानसभा में 48 सीटें जीत लीं, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को 22 सीटों से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 45.6% हो गया, जबकि ‘आप’ का वोट प्रतिशत गिर गया। दिल्ली में निर्णायक जनादेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में आरामदायक जीत के साथ, आम चुनाव 2024 में अपेक्षाकृत कमजोर जनादेश के बाद बनी अनिश्चितताओं को दूर करने में सहायक होगा। इसका भारतीय शेयर बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सोमवार को बाजार में गिरावट
सोमवार के कारोबारी सत्र के दौरान भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का माहौल रहा।
- बीएसई सेंसेक्स 750 अंक यानी 0.97% की गिरावट के साथ 77,106.89 पर बंद हुआ।
- एनएसई निफ्टी 50 में 228 अंकों (0.96%) की गिरावट देखी गई, और यह 23,316.30 पर बंद हुआ।
- बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी करीब 2% की गिरावट दर्ज की गई।
एनएसई के पास उपलब्ध अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शुक्रवार को भारतीय शेयरों में 470.39 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री की। इसके साथ ही फरवरी के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार से कुल निकासी 7,342 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। 2025 में अब तक एफपीआई ने भारतीय बाजार से 85,369 करोड़ रुपये की निकासी की है।
एफआईआई प्रवाह को लेकर अनुमान
जेएम फाइनेंशियल के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की निर्णायक जीत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को आकर्षित करने के लिए एक सकारात्मक ट्रिगर साबित हो सकती है। हालांकि, भारतीय रुपये के कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए एफआईआई प्रवाह की संभावनाएं कुछ हद तक प्रभावित हो सकती हैं।
- भारतीय रुपया 88 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे एफआईआई की वापसी मुश्किल हो सकती है।
मोतीलाल ओसवाल की रणनीति
दूसरी ओर, प्रमुख ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि आगामी दर कटौती के चलते उपभोक्ता क्षेत्र को लाभ मिल सकता है। इसके प्रमुख लाभार्थियों में शामिल हैं:
- विवेकाधीन खर्च से जुड़े क्षेत्र – खुदरा, आभूषण, होटल, परिधान, दोपहिया वाहन (2W), एंट्री-लेवल चार पहिया वाहन (4W)।
- पूंजी बाजार से जुड़े स्टॉक भी कुछ हद तक प्रभावित हो सकते हैं।
सेक्टरवार निवेश रणनीति
मोतीलाल ओसवाल की रणनीति के अनुसार:
✔ ‘ओवरवेट’ सेक्टर: उपभोग, आईटी, बैंकिंग व वित्तीय सेवा (बीएफएसआई), औद्योगिक क्षेत्र, स्वास्थ्य सेवा और रियल एस्टेट।
✖ ‘अंडरवेट’ सेक्टर: तेल और गैस, सीमेंट और धातु।
ब्रोकरों की पसंदीदा कंपनियां
लार्ज-कैप कंपनियों में:
- टाइटन, एमएंडएम, मारुति, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, एचसीएल टेक, भारती एयरटेल, एलएंडटी, सन फार्मा, ट्रेंट, एचयूएल और डिक्सन टेक।
मिड और स्मॉलकैप में:
- इंडियन होटल्स, पेज, कमिंस इंडिया, बीएसई, गोदरेज प्रॉपर्टीज, कोफोर्ज, मेट्रो ब्रांड्स, आईपीसीए लैब्स, एंजेल वन और जेएसडब्ल्यू इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता दी जा रही है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेतक हो सकती है, जिससे एफआईआई प्रवाह को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, भारतीय रुपये की कमजोरी और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते बाजार की दिशा पर सतर्क नजर रखने की जरूरत है।