बुधवार, 11 जून 2025 की सुबह दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के गोविंदपुरी स्थित भूमिहीन कैंप में तोड़फोड़ अभियान की शुरुआत की गई। भारी पुलिस बल और अर्धसैनिक बल की मौजूदगी में अधिकारियों ने सरकारी जमीन पर बसी झुग्गियों को हटाने की कार्रवाई शुरू की।
एक अधिकारी ने जानकारी दी कि इस अभियान के तहत लगभग 300 से अधिक झुग्गियों को ध्वस्त किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमने सुनिश्चित किया है कि तोड़फोड़ शांतिपूर्ण तरीके से हो। किसी को भी कानून-व्यवस्था भंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
मौके पर कई बुलडोजर मौजूद थे, जो झुग्गियों को गिराते देखे गए।
राजनीतिक विवाद भी गहराया
इस कार्रवाई पर आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए आतिशी ने लिखा, “बीजेपी का बुलडोजर सुबह 5 बजे से ही भूमिहीन कैंप में चलना शुरू हो गया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने तीन दिन पहले ही कहा था कि एक भी झुग्गी नहीं गिराई जाएगी। फिर अब ये कार्रवाई क्यों हो रही है?”
आतिशी ने मंगलवार को भूमिहीन कैंप का दौरा भी किया था। ‘आप’ पार्टी ने दावा किया कि इस दौरान पुलिस ने उन्हें निवासियों से मिलने नहीं दिया और हिरासत में ले लिया गया। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है।
मुख्यमंत्री का पक्ष
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रविवार, 8 जून को स्पष्ट किया था कि जिन झुग्गियों को गिराया जा रहा है, वे सभी अदालत के विध्वंस आदेशों के दायरे में आती हैं और सरकार इन आदेशों की अवहेलना नहीं कर सकती। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को हटाया जा रहा है, उन्हें वैकल्पिक आवास मुहैया कराया गया है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ‘आप’ पार्टी दिल्ली के कई हिस्सों में चल रहे झुग्गी-उन्मूलन अभियानों का विरोध कर रही है — खासतौर पर दक्षिणी दिल्ली के बारापुला के पास स्थित मद्रासी कैंप की झुग्गी बस्ती को ढहाने को लेकर।
पहले भी हो चुकी हैं कई कार्रवाइयाँ
भूमिहीन कैंप में यह कोई पहली कार्रवाई नहीं है। पिछले एक साल में यहां तीन बार तोड़फोड़ अभियान चलाया जा चुका है — जुलाई 2023, मई 2025 और अब जून 2025 में। इस शिविर में रहने वाले अधिकतर लोग प्रवासी श्रमिक हैं, जो रोज़ी-रोटी की तलाश में दिल्ली आए थे।
अब इस अभियान को लेकर जहां सरकार अदालतों के आदेशों का हवाला दे रही है, वहीं विपक्ष इसे मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ बताते हुए गरीब विरोधी नीति करार दे रहा है।