दक्षिण कोरिया में पुलिस ने राष्ट्रपति यून सुक योल द्वारा पिछले सप्ताह मार्शल लॉ लागू करने के असफल प्रयास के बाद सियोल में उनके कार्यालय पर छापा मारा है। यह घटना देश की राजनीति में लगातार उथल-पुथल का हिस्सा बन गई है।
राष्ट्रपति यून पर आरोप और विरोध
राष्ट्रपति यून, जो महाभियोग प्रस्ताव और उनके पद छोड़ने के बढ़ते दबाव के बावजूद पद पर बने हुए हैं, वर्तमान में विद्रोह और देशद्रोह के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। सरकार की विभिन्न शाखाओं द्वारा इन आरोपों की जांच चल रही है।
इस बीच, पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून, जिन्होंने कथित तौर पर मार्शल लॉ की घोषणा की जिम्मेदारी ली थी, ने हिरासत में रहते हुए आत्महत्या करने का प्रयास किया। अधिकारियों ने बताया कि किम को एक निगरानी कक्ष में रखा गया है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति स्थिर है। उन्हें रविवार को गिरफ्तार किया गया था।
इस्तीफे और राजनीतिक अस्थिरता
मार्शल लॉ की अल्पकालिक घोषणा के बाद, यून के कई करीबी सहयोगियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इस घटनाक्रम ने देश को राजनीतिक अस्थिरता के कगार पर ला खड़ा किया है।
सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने यून के महाभियोग के लिए संसद में मतदान का बहिष्कार किया, क्योंकि उन्होंने अपना कार्यकाल छोटा करने और विदेशी व घरेलू मामलों में सक्रिय भूमिका न निभाने का वादा किया था। हालांकि, विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। पार्टी के फ्लोर लीडर पार्क चान-डे ने इसे “एक अवैध, असंवैधानिक दूसरा विद्रोह और तख्तापलट” करार दिया।
प्रदर्शनकारियों का दबाव और छानबीन
सड़कों पर प्रदर्शनकारी अभी भी यून के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बुधवार को अठारह जांचकर्ता राष्ट्रपति कार्यालय भेजे गए, जिन्होंने मार्शल लॉ की घोषणा से संबंधित कैबिनेट बैठक के रिकॉर्ड जब्त किए।
छापे के दौरान राष्ट्रपति यून अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति और उनके सहयोगियों पर बढ़ते दबाव को दर्शाती है।
विशेषज्ञों की राय
सियोल के हनुक यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर मेसन रिची ने बीबीसी को बताया, “छापेमारी यह संकेत देती है कि जांच तेज हो रही है और इसमें यून का मामला प्रमुख है।” उन्होंने आगे कहा, “जांच के मौजूदा संकेतों से यह साफ है कि यून पर जल्द ही महाभियोग चलाया जाएगा। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है और विद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है।”
ऐतिहासिक संदर्भ
राष्ट्रपति कार्यालय पर पिछली बार दिसंबर 2019 में छापेमारी हुई थी, जब बुसान के पूर्व उप महापौर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। हालांकि, उस समय अभियोजन पक्ष ने कार्यालय के अंदर प्रवेश नहीं किया था, और सामग्री प्रोटोकॉल के अनुसार सौंप दी गई थी।
इस बार की छापेमारी और उसके साथ जुड़े घटनाक्रम ने दक्षिण कोरिया को एक गहरे राजनीतिक संकट में डाल दिया है। राष्ट्रपति यून का भविष्य और देश की स्थिरता अब इन जांचों के परिणाम पर निर्भर करती है।