Wednesday, June 18, 2025

दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति Lee Jae-myung ने लिया अमेरिका-जापान के साथ मजबूत संबंधों का संकल्प

दक्षिण कोरिया के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति Lee Jae-myung ने बुधवार को अपने पांच वर्षीय कार्यकाल की शुरुआत करते हुए देश की विदेश और घरेलू नीति के प्राथमिक लक्ष्यों की घोषणा की। उन्होंने अमेरिका और जापान के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करने और उत्तर कोरिया के साथ बातचीत को दोबारा शुरू करने का संकल्प लिया।

Lee, जिन्होंने गरीबी से उठकर देश के प्रमुख उदार राजनेता का दर्जा हासिल किया, असमानता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का वादा करते रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ऐसे समय पर ली है जब उनके पूर्ववर्ती Yoon Suk Yeol को पिछले साल के अंत में मार्शल लॉ लागू करने के एक विवादास्पद निर्णय के चलते पद से हटा दिया गया था। इसके बाद अप्रैल में विशेष चुनाव आयोजित किए गए, जिसमें ली को जीत मिली और उनका कार्यकाल बिना सामान्य संक्रमण अवधि के तुरंत शुरू हो गया।

विदेश नीति में संतुलन और शांति की दिशा में प्रयास

राष्ट्रीय असेंबली में दिए गए अपने उद्घाटन भाषण में ली ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार अमेरिका-दक्षिण कोरिया सैन्य गठबंधन के आधार पर उत्तर कोरिया के किसी भी संभावित हमले का “मजबूत प्रतिरोध” करेगी। साथ ही उन्होंने संवाद और सहयोग के ज़रिए कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने का भी संकल्प लिया।

उन्होंने कहा, “हम उत्तर कोरिया के साथ संवाद के चैनल खोलेंगे और कोरियाई प्रायद्वीप में स्थायी शांति के लिए प्रयास करेंगे।” Lee ने यह भी जोर दिया कि वह “व्यावहारिक कूटनीति” के ज़रिए पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाएंगे और सियोल-वाशिंगटन-टोक्यो त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करेंगे।

Lee ने कहा, “राष्ट्रीय हितों पर आधारित व्यावहारिक कूटनीति के माध्यम से हम वैश्विक आर्थिक और सुरक्षा परिदृश्य में हो रहे बड़े बदलावों से उत्पन्न संकट को अवसर में बदलेंगे।”

चीन और अमेरिका के बीच संतुलन की कोशिश

हालांकि ली को पहले चीन और उत्तर कोरिया के प्रति झुकाव रखने और अमेरिका-जापान से दूरी बनाने के आरोपों का सामना करना पड़ा था, लेकिन हाल के समय में उन्होंने बार-बार अमेरिका के साथ गठबंधन को अपनी विदेश नीति की आधारशिला बताया है।

यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ली के सत्ता में आने से दक्षिण कोरिया की विदेश नीति में कोई बड़ा और त्वरित बदलाव होगा या नहीं। विश्लेषकों का मानना है कि चाहे कोई भी राष्ट्रपति बने, अमेरिका के टैरिफ मुद्दे या उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम जैसे विषयों पर दक्षिण कोरिया के हितों में कोई बड़ा बदलाव कर पाना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा।

आर्थिक चुनौतियों से निपटने की प्राथमिकता

ली ने देश की धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। उन्होंने मंदी की आशंका को देखते हुए एक आपातकालीन टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की, जो तत्काल प्रभाव से काम शुरू करेगी।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए आक्रामक सरकारी खर्च की नीति अपनाएगी। यह बयान ऐसे समय आया है जब दक्षिण कोरिया के केंद्रीय बैंक ने मुख्य ब्याज दरों में कटौती की है और 2025 के लिए देश की विकास दर का अनुमान घटाकर महज 0.8 प्रतिशत कर दिया है। ऐसा अमेरिका के टैरिफ प्रभाव और देश में हाल की राजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित कमजोर घरेलू मांग की भरपाई के लिए किया गया है।

सुरक्षा और श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद ली ने ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष किम म्युंग-सू से टेलीफोन पर बातचीत की और सेना को निर्देश दिया कि वे उत्तर कोरिया की गतिविधियों पर करीबी नजर रखें और अमेरिका-दक्षिण कोरिया सैन्य गठबंधन के आधार पर ठोस तैयारी बनाए रखें।

इसके बाद ली ने सियोल स्थित राष्ट्रीय कब्रिस्तान का दौरा किया और वहां देश के पूर्व नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

ली जे-म्यांग का यह कदम एक नई राजनीतिक दिशा और कूटनीतिक सोच का संकेत देता है, जिसमें वे आंतरिक सुधारों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर संतुलन और सहयोग की नीति अपनाने की तैयारी में हैं।

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