Monday, February 24, 2025

दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून की गिरफ्तारी को न्यायालय की मंजूरी

दक्षिण कोरियाई न्यायालय ने मंगलवार को अधिकारियों को महाभियोग लगाए गए राष्ट्रपति यून सुक येओल को उनके विवादित मार्शल लॉ आदेश की आपराधिक जांच के तहत हिरासत में लेने की मंजूरी दे दी। यह देश के इतिहास में पहली बार है जब किसी मौजूदा राष्ट्रपति को गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा है।

अदालत का फैसला और जांच का दायरा
भ्रष्टाचार जांच कार्यालय (CIO) ने पुष्टि की है कि सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय ने यून के अल्पकालिक मार्शल लॉ लागू करने की जांच कर रहे जांचकर्ताओं द्वारा अनुरोधित गिरफ्तारी वारंट को मंजूरी दे दी है। यून, जो पहले ही अपने पद से निलंबित किए जा चुके हैं, पर विद्रोह के नेता होने का आरोप है। यह उन गंभीर आरोपों में से एक है जिनसे दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति को संवैधानिक रूप से छूट नहीं है।

साथ ही, उनके महाभियोग की सुनवाई संवैधानिक न्यायालय में जारी है। यह मामला दक्षिण कोरिया की राजनीति में गंभीर संकट को और गहरा कर रहा है, जो एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और अमेरिका के प्रमुख सहयोगी के रूप में जाना जाता है।

प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों पर असर
यून के निलंबन के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति बने प्रधानमंत्री हान डक-सू पर भी संसद द्वारा महाभियोग लगाया गया है। इसके बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्यभार वित्त मंत्री चोई सांग-मोक ने संभाला है, जो हाल ही में जेजू एयर की उड़ान 7C2216 की दुर्घटना जैसी आपदाओं से निपट रहे हैं। यह दुर्घटना दक्षिण कोरियाई धरती पर सबसे घातक हवाई दुर्घटनाओं में से एक है, जिसमें 179 लोग मारे गए थे।

गिरफ्तारी वारंट की वैधता और विरोध
गिरफ्तारी वारंट 6 जनवरी तक वैध है और जांचकर्ताओं को यून को हिरासत में लेने के बाद केवल 48 घंटे का समय दिया गया है। इस अवधि के भीतर उन्हें यह तय करना होगा कि हिरासत वारंट का अनुरोध करना है या यून को रिहा करना है।

राष्ट्रपति यून के वकील, यूं काब-क्यून ने वारंट को अवैध और अमान्य बताया। उनका दावा है कि सीआईओ के पास दक्षिण कोरियाई कानून के तहत ऐसा वारंट जारी करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी कानूनी टीम वारंट को रोकने के लिए संवैधानिक न्यायालय में याचिका दायर करेगी।

समर्थकों का प्रदर्शन और पुलिस के साथ टकराव
मंगलवार को यून के आवास के बाहर उनके सैकड़ों समर्थक इकट्ठा हुए और गिरफ्तारी वारंट के विरोध में प्रदर्शन किया। कुछ प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं।

न्यायालय का रुख और संभावित गिरफ्तारी प्रक्रिया
योनहाप न्यूज एजेंसी ने बताया कि जिला न्यायालय ने वारंट इस आधार पर जारी किया कि यून समन का जवाब नहीं देंगे और उनके खिलाफ अपराध के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। हालांकि, न्यायालय ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि यून की गिरफ्तारी कब और कैसे होगी। राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा ने बयान जारी कर कहा है कि वह गिरफ्तारी वारंट का निपटारा उचित प्रक्रिया के तहत करेगी।

अन्य अधिकारियों पर आरोप
अब तक, यून के मार्शल लॉ आदेश से संबंधित मामले में तीन वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों पर अभियोग लगाया जा चुका है। इनमें पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून, रक्षा प्रति-खुफिया कमान के प्रमुख यो इन-ह्यूंग और कैपिटल डिफेंस कमान के कमांडर ली जिन-वू शामिल हैं। किम योंग-ह्यून के मुकदमे की पहली सुनवाई 16 जनवरी को होनी है।

आने वाले समय में और भी आरोपों की संभावना जताई जा रही है, जिससे यह मामला और गंभीर हो सकता है।

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