Thursday, July 10, 2025

तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य में 90 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग (SEC) को 90 दिनों के भीतर राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति टी. माधवी देवी की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने बुधवार को दिया।

अदालत ने कहा कि ग्राम पंचायत चुनाव तीन महीने यानी 90 दिनों के भीतर कराए जाने चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकार को 30 दिनों के भीतर वार्डों का परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया गया है।

गौरतलब है कि राज्य की 12,845 ग्राम पंचायतों, 5,817 मंडल परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों और 538 जिला परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों का कार्यकाल 30 जनवरी 2023 को समाप्त हो गया था। इसके बाद से इन स्थानीय निकायों का प्रशासन विशेष अधिकारियों के अधीन चल रहा है।

इस देरी के खिलाफ कई पूर्व सरपंचों ने उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सरकार द्वारा विशेष अधिकारियों की नियुक्ति असंवैधानिक है और यह तेलंगाना पंचायत राज अधिनियम का उल्लंघन करती है। उन्होंने कहा कि ये अधिकारी अन्य कार्यों में व्यस्त रहते हैं और स्थानीय समस्याओं के प्रति जवाबदेह नहीं हैं।

पूर्व सरपंचों ने यह भी बताया कि उन्होंने विकास कार्यों के लिए राज्य वित्त आयोग की ओर से आर्थिक सहायता के आश्वासन के आधार पर अपनी निजी राशि का उपयोग किया था, लेकिन अब सरकार से उन्हें कोई धन नहीं मिल रहा है। इसके अलावा, निर्वाचित निकायों के अभाव में केंद्र सरकार से भी योजनाओं के तहत धन नहीं मिल रहा है।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से मांग की कि या तो चुनाव शीघ्र कराए जाएं या फिर पूर्व सरपंचों को अस्थायी रूप से प्रशासनिक अधिकार दिए जाएं।

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता इमरान खान ने दलील दी कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार ओबीसी आरक्षण प्रक्रिया पूरी किए बिना चुनाव कराना संभव नहीं है। उन्होंने सरकार को इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय देने की मांग की।

वहीं, राज्य चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जी. विद्यासागर ने कहा कि वार्डों का परिसीमन और ओबीसी आरक्षण तय करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जैसे ही सरकार यह प्रक्रिया पूरी करती है, एसईसी चुनावी प्रक्रिया शुरू करेगा, जिसमें लगभग दो महीने का समय लगेगा।

इस पर न्यायमूर्ति माधवी देवी ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि यदि सरकार समय पर कार्रवाई नहीं करती है, तो चुनाव आयोग को स्वयं पहल करनी चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि चुनाव आयोग ने अब तक ऐसी पहल क्यों नहीं की।

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि ग्राम पंचायत चुनाव 90 दिनों के भीतर कराए जाएं और राज्य सरकार 30 दिनों के भीतर आरक्षण प्रक्रिया और वार्ड परिसीमन का कार्य पूरा करे।

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