भारत के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल को बॉक्सिंग डे टेस्ट के पांचवें दिन अंतिम सत्र के दौरान विवादास्पद परिस्थितियों में आउट करार दिया गया। मैदान पर कैच-बिहाइंड के लिए नॉट-आउट का फैसला तीसरे अंपायर ने पलट दिया, हालांकि रियल-टाइम स्निको में किनारे की पुष्टि नहीं हुई थी।
जायसवाल, जो उस समय 84 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे, ने पैट कमिंस की बाउंसर को हुक करने का प्रयास किया। गेंद विकेटकीपर एलेक्स कैरी ने लपकी, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने जोरदार अपील की। मैदानी अंपायर जोएल विल्सन ने नॉट-आउट का इशारा किया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने डीआरएस के माध्यम से इस फैसले की समीक्षा की।
रियल-टाइम स्निको ने दिखाया कि गेंद बल्ले के पास से गुजरते समय कोई आवाज़ नहीं हुई थी और एक सपाट रेखा प्रदर्शित की। हालांकि, वीडियो रिप्ले में गेंद के विक्षेपण (डिफ्लेक्शन) को स्पष्ट रूप से देखा गया। तीसरे अंपायर शरफुद्दौला ने विक्षेपण को निर्णायक सबूत मानते हुए मैदान पर दिए गए नॉट-आउट के फैसले को पलट दिया।
जायसवाल, जो इस फैसले से काफी निराश दिखे, अंपायरों से बात करते नजर आए। इसके बाद वे मैदान से बाहर चले गए। उनका आउट होना भारत की टेस्ट बचाने की आखिरी उम्मीद के खत्म होने जैसा था। भारत 340 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 140 रन पर 7 विकेट खो चुका था और अंततः 184 रनों से हार गया।
खिलाड़ियों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं
मैच के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने कहा, “मुझे नहीं पता कि इसका क्या मतलब निकाला जाए क्योंकि तकनीक ने कुछ भी नहीं दिखाया, लेकिन नंगी आंखों से ऐसा लग रहा था कि उन्होंने कुछ छुआ है। मुझे नहीं पता कि अंपायर तकनीक का उपयोग कैसे करना चाहते हैं, लेकिन निष्पक्षता से कहूं तो मुझे लगता है कि उन्होंने गेंद को छुआ था। यह तकनीक के बारे में है, जो 100% सही नहीं है। अक्सर हम ही इसके गलत पक्ष में होते हैं।”
वहीं, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने कहा कि जायसवाल ने गेंद को मारा था और वह इस फैसले से संतुष्ट थे। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह स्पष्ट था कि उन्होंने गेंद को मारा। हमने आवाज सुनी और विक्षेपण भी देखा। जैसे ही हमने समीक्षा की, आप देख सकते थे कि उन्होंने अपना सिर झुका लिया, यह स्वीकार करते हुए कि उन्होंने गेंद को मारा।”
विशेषज्ञों की राय
साइमन टॉफेल ने तीसरे अंपायर के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “स्पष्ट डिफ्लेक्शन निर्णायक सबूत है। तकनीकी प्रोटोकॉल के तहत, जब अंपायर विक्षेपण देखता है, तो किसी अन्य तकनीक का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती।”
हालांकि, सुनील गावस्कर ने स्निको को नजरअंदाज करने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “अगर तकनीकी साक्ष्य से पता चलता है कि यह आउट नहीं है, तो आप इसे आउट नहीं दे सकते। ऑप्टिकल भ्रम से ऐसा लग सकता है कि किनारा हुआ है, लेकिन यह हमेशा सही नहीं होता।”
स्टार स्पोर्ट्स पर लाइव चर्चा में, मार्क निकोलस और संजय मांजरेकर ने भी इस फैसले को “बहादुरी भरा” करार दिया। निकोलस ने कहा, “स्निको को ओवरराइड करना बहुत दुर्लभ है। मुझे नहीं लगता कि कोई अन्य अंपायर ऐसा करता।” मांजरेकर ने कहा, “अगर स्निको ने कुछ नहीं दिखाया, तो ज्यादातर अंपायर इसे नॉट-आउट ही देते।”
निष्कर्ष
जायसवाल के आउट होने का यह मामला तकनीक, अंपायरिंग और क्रिकेट के नियमों के बीच संतुलन पर बहस को और बढ़ावा देता है। जहां कुछ इसे सही निर्णय मानते हैं, वहीं कई विशेषज्ञ तकनीकी प्रमाणों की अनदेखी पर सवाल उठा रहे हैं।