तमिलनाडु में AIADMK और भाजपा के बीच गठबंधन को फिर से बहाल करने की अटकलों ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। इसकी मुख्य वजह AIADMK महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात बताई जा रही है। मंगलवार को दिल्ली में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में ईपीएस के साथ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे, जिनमें पूर्व राज्य मंत्री एस. पी. वेलुमणि, के. पी. मुनुसामी, सांसद एम. थंबीदुरई और सी. वी. षणमुगम शामिल थे।
क्या फिर से होगा AIADMK-भाजपा का गठबंधन?
हालांकि, इस मुलाकात के बाद किसी भी पक्ष ने आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि दोनों दल फिर से गठबंधन कर सकते हैं। इसकी एक वजह शाह का हाल ही में राज्यसभा में दिया गया बयान भी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “एनडीए 2026 में सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु में शराब घोटाले बंद कर देगा।” इस बयान को AIADMK के साथ भाजपा के संभावित गठबंधन की दिशा में एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
आगामी चुनावों को देखते हुए गठबंधन की संभावना
यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु में अगले साल चुनाव होने हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि विपक्षी वोटों का विभाजन हुआ, तो सत्तारूढ़ डीएमके को फायदा हो सकता है, जैसा कि लोकसभा चुनावों में देखने को मिला था। डीएमके ने राज्य में जबरदस्त जीत दर्ज की थी। इसके अलावा, डीएमके सरकार वर्तमान में भाषा नीति और परिसीमन के मुद्दों पर केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए है। ऐसे में, यदि ईपीएस केवल शिष्टाचार भेंट के लिए शाह से मिले होते, तो वे केंद्र सरकार के करीबी माने जाने के कारण आलोचना का जोखिम नहीं उठाते।
अन्नामलाई की आलोचना और भाजपा-एआईएडीएमके के बिगड़े संबंध
लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के तमिलनाडु प्रमुख के. अन्नामलाई ने AIADMK के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलाया था। इससे दोनों दलों के बीच संबंध बिगड़ गए थे और गठबंधन टूट गया था। 2021 के विधानसभा चुनावों में AIADMK और भाजपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था, जिसके तहत भाजपा को चार सीटें मिली थीं। लेकिन सितंबर 2023 में अन्नामलाई ने भाजपा के लिए एक स्वतंत्र राह बनाने और इसे डीएमके के मुख्य विपक्ष के रूप में पेश करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई, जिससे AIADMK से उनका टकराव हो गया।
AIADMK नेताओं को सबसे अधिक आपत्ति अन्नामलाई के उस बयान से हुई, जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की भ्रष्टाचार के मामले में सजा को लेकर टिप्पणी की थी। AIADMK ने इसे गंभीर अपमान माना और पार्टी ने अन्नामलाई के खिलाफ एक कड़ा प्रस्ताव पारित किया। इस घटना के बाद दोनों दलों के रिश्ते पूरी तरह से टूट गए। लेकिन हाल के दिनों में अन्नामलाई ने AIADMK के प्रति अपना रुख थोड़ा नरम किया है, जिससे संभावित गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं।
ईपीएस की टिप्पणी से बढ़ी अटकलें
गठबंधन को लेकर कयास उस समय और मजबूत हुए जब हाल ही में एक बयान में पलानीस्वामी ने भाजपा के साथ संभावित गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर लोगों से “छह महीने तक इंतजार करने” को कहा। इससे यह संकेत मिला कि दोनों दलों के बीच पर्दे के पीछे बातचीत जारी है।
स्टालिन का तंज और ईपीएस की सफाई
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने विधानसभा में पलानीस्वामी की दिल्ली यात्रा पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “हमें जानकारी मिली है कि विपक्ष के नेता दिल्ली गए हैं। वह किसी से मिलने जा रहे हैं। जब वह उनसे मिलेंगे तो उन्हें इस (दो भाषा नीति) पर जोर देना चाहिए।” इस बयान ने सत्ता पक्ष, विपक्ष और मीडिया के बीच हलचल मचा दी।
हालांकि, दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ईपीएस ने कहा कि वह केवल AIADMK के नवनिर्मित पार्टी कार्यालय का दौरा करने आए थे। लेकिन, AIADMK के वरिष्ठ नेता भाजपा के साथ गठबंधन को फिर से बहाल करने की जरूरत पर चर्चा कर रहे हैं
AIADMK और भाजपा के रिश्ते पिछले कुछ समय से तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन राजनीतिक समीकरणों के चलते दोनों दल फिर से गठबंधन की संभावनाएं तलाश सकते हैं। लोकसभा चुनावों में डीएमके की सफलता और 2026 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि विपक्षी वोटों का बंटवारा डीएमके के लिए फायदेमंद होगा। ऐसे में AIADMK और भाजपा का साथ आना रणनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है। अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में यह राजनीतिक समीकरण किस दिशा में जाता है।