अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल से भारत और अन्य देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा से भारतीय निर्यातकों में चिंता बढ़ गई है। सरकारी विभाग व्यापार संगठनों के साथ मिलकर इस टैरिफ के प्रभाव का आकलन करने और वाशिंगटन को दी जाने वाली संभावित टैरिफ रियायतों पर काम कर रहे हैं।
व्यापारिक निकायों की प्रतिक्रिया
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि इस कदम का कई उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सहाय ने कहा, “कुछ उत्पादों पर उद्योग इस अतिरिक्त शुल्क को वहन कर सकता है, जिससे कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा। हालांकि, कुछ ऐसे उत्पाद भी हैं, जिन पर यह भार वहन करना संभव नहीं होगा, जिससे व्यापार प्रभावित होगा।”
सरकारी विभागों ने बुधवार को विभिन्न व्यापार संवर्धन निकायों के साथ बैठक कर इस टैरिफ सौदे के संभावित प्रभावों का आकलन किया।
एक व्यापार संवर्धन निकाय के अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, “हमसे उत्पाद-वार टैरिफ और इसके संभावित प्रभाव की विस्तृत जानकारी तैयार करने के लिए कहा गया है।”
भारत-अमेरिका व्यापार और टैरिफ का अंतर
सहाय के अनुसार, भारत और अमेरिका द्वारा लगाए गए औसत भारित टैरिफ में 4.9 प्रतिशत का अंतर है। भारत अमेरिका से आयातित उत्पादों पर 7.7 प्रतिशत का भारित औसत टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर 2.8 प्रतिशत का भारित औसत टैरिफ लगाता है।
निर्यातकों की चिंता इस बात को लेकर है कि आगे क्या होने वाला है, क्योंकि इस बारे में अभी कोई स्पष्टता नहीं है। सहाय ने कहा, “कोई नहीं जानता कि पारस्परिक टैरिफ कैसे काम करेंगे। सभी उत्पादों पर समान टैरिफ लगाना संभव नहीं है। यदि अमेरिका किसी विशेष श्रेणी के उत्पादों का निर्यात करता है, तो जरूरी नहीं कि भारत भी उसी श्रेणी के उत्पादों का निर्यात करे। इसलिए टैरिफ मिलान करना एक चुनौती साबित हो सकता है, जिससे अप्रत्याशित परिणाम भी हो सकते हैं।”
भारत को संभावित आर्थिक नुकसान
ब्रोकरेज फर्म सिटी रिसर्च के अनुसार, पारस्परिक टैरिफ से भारत को सालाना 7 बिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है।
अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) रखता है। 2024 में अमेरिका-भारत माल व्यापार का कुल मूल्य 129.2 बिलियन डॉलर था, जिसमें भारत का अमेरिका को निर्यात 87.4 बिलियन डॉलर और अमेरिका से आयात 41.8 बिलियन डॉलर था। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारत ने अमेरिका के साथ 45.7 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष दर्ज किया।
किन क्षेत्रों पर पड़ेगा सबसे अधिक असर?
रसायन, धातु उत्पाद, आभूषण, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य उत्पाद जैसे क्षेत्रों पर पारस्परिक टैरिफ का सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (EEPC) के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय इंजीनियरिंग और धातु उद्योग बुरी तरह प्रभावित होंगे। भारत के कुल इंजीनियरिंग सामान निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत है।
जनवरी 2024 में अमेरिका को भारत का इंजीनियरिंग सामान निर्यात 18 प्रतिशत बढ़कर 1.62 बिलियन डॉलर हो गया। हालांकि, इसी अवधि में इंजीनियरिंग शिपमेंट की कुल वृद्धि केवल 7.44 प्रतिशत रही।
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जनवरी (2023-24) के दौरान अमेरिका को भारत का इंजीनियरिंग वस्तुओं का संचयी निर्यात 9 प्रतिशत बढ़कर 15.60 बिलियन डॉलर हो गया
पारस्परिक टैरिफ से भारत के कई महत्वपूर्ण उद्योग प्रभावित हो सकते हैं, जिससे व्यापार संतुलन पर असर पड़ेगा। व्यापारिक निकाय और सरकार इस संभावित झटके से निपटने के लिए समाधान तलाश रहे हैं, लेकिन अभी इस नीति का सटीक प्रभाव स्पष्ट नहीं है।

