डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने के बाद वैश्विक बाजारों में अस्थिरता देखी गई, जिससे सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 55 पैसे गिरकर 87.17 (अनंतिम) के सर्वकालिक निम्न स्तर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, अमेरिकी डॉलर सूचकांक में तेज बढ़त और व्यापार युद्ध की आशंकाओं के कारण भारतीय रुपये पर दबाव बना रहा। ट्रम्प ने कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत तथा चीन पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगाया, जिससे निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई।
रुपये की चाल और बाजार की प्रतिक्रिया
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 87.00 के स्तर पर कमजोर खुला और सत्र के दौरान 87.29 के इंट्राडे निचले स्तर तक पहुंच गया। अंततः रुपया 87.17 पर बंद हुआ, जो पिछले सत्र के 86.62 के मुकाबले 55 पैसे की गिरावट को दर्शाता है।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी के चलते रुपया कमजोर रहेगा। इसके अलावा, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं।” हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संभावित हस्तक्षेप से रुपये को समर्थन मिल सकता है।
चौधरी ने आगे कहा कि निवेशक इस सप्ताह होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक को लेकर सतर्क रुख अपना सकते हैं। इसके अलावा, अमेरिका से आने वाले आईएसएम मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई डेटा भी रुपये की चाल को प्रभावित कर सकते हैं।
डॉलर इंडेक्स और तेल की कीमतों में उछाल
डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 1.01 प्रतिशत बढ़कर 109.46 पर पहुंच गया। वहीं, वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 1.41 प्रतिशत चढ़कर 76.74 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
व्यापारियों के अनुसार, विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी और तेल आयातकों की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग के कारण रुपये पर दबाव बना रहा।
शेयर बाजार पर असर
घरेलू शेयर बाजार भी इस गिरावट से प्रभावित हुआ। बीएसई सेंसेक्स 319.22 अंक या 0.41 प्रतिशत गिरकर 77,186.74 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 121.10 अंक या 0.52 प्रतिशत गिरकर 23,361.05 पर आ गया।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने पूंजी बाजार में शुद्ध आधार पर 1,327.09 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे बाजार में गिरावट देखी गई।
विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.574 अरब डॉलर बढ़कर 629.557 अरब डॉलर हो गया। हालांकि, इससे पहले के सप्ताह में यह भंडार 1.888 अरब डॉलर घटकर 623.983 अरब डॉलर रह गया था।
बीते कुछ हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण आरबीआई द्वारा रुपये में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए किया गया हस्तक्षेप माना जा रहा है।
वित्त सचिव का बयान
वित्त सचिव तुहिन कांता पांडे ने सोमवार को कहा कि रुपये के मूल्य को लेकर कोई चिंता नहीं है और भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रा की अस्थिरता को संभाल रहा है।
उन्होंने कहा, “रुपये की स्थिति को लेकर कोई चिंता नहीं है। यह एक मुक्त विनिमय दर वाली मुद्रा है और इस पर किसी भी तरह का नियंत्रण नहीं है। आरबीआई बाजार की जरूरत के अनुसार हस्तक्षेप कर रहा है।”
ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ और वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं के चलते रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआई के हस्तक्षेप और आगामी नीतिगत फैसलों पर निवेशकों की नजर रहेगी, जो आने वाले दिनों में रुपये की दिशा निर्धारित कर सकते हैं।