1/7 ट्रम्प की विदेश नीति का परिचय और भारत पर प्रभाव
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ET Now के सलाहकार संपादक स्वामीनाथन अय्यर ने डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति के भारत पर संभावित प्रभावों पर अपने विचार साझा किए। उनके अनुसार, ट्रम्प की नीतियाँ भारत के लिए कई अवसरों और चुनौतियों का मिश्रण साबित हो सकती हैं।
2/7 ट्रम्प की वैश्विक नीतियाँ: भारत के लिए चुनौतियाँ
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डोनाल्ड ट्रम्प ने NATO, WTO और पेरिस जलवायु समझौते जैसी वैश्विक संरचनाओं को चुनौती दी है। यह भारत के लिए कई प्रकार की समस्याएँ पैदा कर सकता है।
सबसे बड़ा जोखिम व्यापार युद्ध का है। ट्रम्प ने चीन पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिससे वैश्विक व्यापार अस्थिर हो सकता है।
भारत भी ट्रम्प के निशाने पर है, क्योंकि अमेरिकी मोटरसाइकिलों जैसे उत्पादों पर भारत के उच्च आयात शुल्क को लेकर उन्होंने कई बार आलोचना की है। यह भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है।
3/7 व्यापार युद्ध में भारत के लिए सलाह
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स्वामीनाथन अय्यर का सुझाव है कि भारत को ट्रम्प के राष्ट्रपति पद के दौरान व्यापार युद्ध को लेकर सतर्क रहना चाहिए।
आक्रामक प्रतिक्रिया देने के बजाय, भारत को रणनीतिक धैर्य बनाए रखना चाहिए और ट्रम्प के कार्यकाल के बाद संभावित नीतिगत परिवर्तनों के लिए तैयार रहना चाहिए।
4/7 ट्रम्प और वैश्विक संबंध
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ट्रम्प की विदेश नीति मुख्यतः अलगाववादी है, जिसमें वैश्विक मुद्दों में उनकी रुचि सीमित है।
इस दृष्टिकोण से चीन को अपने क्षेत्रीय एजेंडे, खासकर ताइवान में, आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने का अवसर मिल सकता है। यह भारत के लिए चिंता का विषय है।
5/7 जलवायु नीतियों पर प्रभाव
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डोनाल्ड ट्रम्प का रुख जलवायु परिवर्तन के प्रति शंकालु रहा है। उन्होंने पेरिस समझौते से अमेरिका को अलग कर दिया, जिससे वैश्विक स्थिरता प्रयासों को चुनौती मिली।
भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए थर्मल पावर प्लांट को बनाए रखते हुए अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाना चाहिए।
6/7 ट्रम्प के तहत भारत का पड़ोस
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स्वामीनाथन अय्यर के अनुसार, ट्रम्प की नीतियाँ भारत के पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ संबंधों पर ज्यादा असर नहीं डालेंगी।
यू.एस.-पाकिस्तान संबंध पहले से ही ठंडे हैं और इनके बदलने की संभावना कम है।
7/7 ट्रम्प-चीन गतिशीलता और भारत की स्थिति
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अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ट्रम्प के शासन में और तेज़ होने की संभावना है।
यह स्थिति भारत के लिए एक अवसर हो सकती है, क्योंकि “चीन प्लस वन” रणनीति के तहत विदेशी कंपनियाँ भारत में निवेश कर सकती हैं।
भारत को इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए अपनी नीतियाँ अनुकूल बनानी चाहिए।
डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों ने वैश्विक स्तर पर अस्थिरता पैदा की है, लेकिन भारत के लिए यह नई संभावनाएँ भी खोल सकती हैं। स्वामीनाथन अय्यर का सुझाव है कि भारत को ट्रम्प की नीतियों से निपटने के लिए रणनीतिक और दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।