Sunday, February 23, 2025

टेस्ला की भारतीय नौकरियों की योजना ट्रम्प की टैरिफ धमकियों के बीच आई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में टेस्ला के सीईओ एलन मस्क से मुलाकात की थी, जो अब ट्रम्प प्रशासन में एक प्रमुख व्यक्ति हैं। इस बैठक को प्रौद्योगिकी साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक द्विपक्षीय रोडमैप की रूपरेखा तैयार करने के रूप में देखा गया। इस मुलाकात के एक सप्ताह के भीतर टेस्ला ने भारत में अपनी भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी, जिससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी भारत में प्रवेश करने की अपनी योजना को फिर से सक्रिय कर रही है।

टेस्ला, जो लंबे समय से भारत में अपनी न्यूनतम उपस्थिति बनाए हुए थी, अब 13 विभिन्न पदों के लिए भर्ती कर रही है, जिनमें ग्राहक सेवा और बैक-एंड भूमिकाएँ शामिल हैं। यह निर्णय वर्षों की बातचीत और भारत में टेस्ला के प्रवेश को लेकर अटकलों के बाद आया है। कर छूट और स्थानीय विनिर्माण आवश्यकताओं से जुड़ी कई बाधाओं ने अब तक टेस्ला के भारत में प्रवेश को धीमा किया था। वर्षों से, मस्क ने भारत में ऊँचे आयात शुल्क की आलोचना की है और इसे टेस्ला के विस्तार में प्रमुख बाधा बताया है।

टेस्ला की योजना और अमेरिकी टैरिफ नीति

टेस्ला की यह योजना ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प आक्रामक टैरिफ नीतियों पर जोर दे रहे हैं। टेस्ला का यह निर्णय भारत में निवेश की संभावना को बढ़ा सकता है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक रणनीतिक कदम है? अभी यह स्पष्ट नहीं है कि टेस्ला भारत में वह कर कटौती प्राप्त कर पाएगी या नहीं, जिसकी वह लंबे समय से मांग कर रही है। साथ ही, यह भी अज्ञात है कि कंपनी भारत में विनिर्माण या असेंबलिंग की योजना बना रही है या नहीं।

मस्क, जो अब ट्रम्प प्रशासन में प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं, अमेरिका की व्यापार नीतियों पर प्रभाव डाल सकते हैं। ट्रम्प के फिर से राष्ट्रपति बनने की संभावना के साथ, व्यापार नीतियाँ और भी आक्रामक हो सकती हैं, जिससे भारत को अपनी शर्तों में बदलाव करने के लिए मजबूर किया जा सकता है। टेस्ला ने पहले भी भारत में प्रवेश की योजना बनाई थी, लेकिन स्थानीय कर नीतियों के कारण इसे पीछे हटना पड़ा। हालाँकि, बदलते राजनीतिक हालात भारत को टेस्ला के लिए अधिक अनुकूल सौदे की पेशकश करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

मोदी-ट्रम्प की बैठक और व्यापार वार्ता

नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प की हाल ही में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा हुई। मोदी ने हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों पर व्यापार रियायतों का प्रस्ताव रखा, लेकिन ट्रम्प ने इसके बदले बढ़ते टैरिफ की चेतावनी दी।

इसके अलावा, दोनों नेताओं के बीच अमेरिका से अधिक गैस आयात, अवैध भारतीय अप्रवासियों का निर्वासन, और रक्षा सौदों पर भी चर्चा हुई। ट्रम्प ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि अमेरिका भारत को F-35 ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर (JSF) विमान उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है, जिससे भारत के सैन्य और रणनीतिक हलकों में हलचल मच गई।

भारत का अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार अधिशेष है, जिससे यह वार्ताएँ आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकती हैं, खासकर मंदी के समय। वैश्विक वित्तीय संस्थाएँ भारत और अन्य एशियाई देशों को अमेरिकी टैरिफ नीतियों के प्रति संवेदनशील मानती हैं।

भारत के ईवी बाजार में टेस्ला की प्रतिस्पर्धा

भारत का इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार तेजी से विकसित हो रहा है, और टेस्ला को यहाँ कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, और मारुति सुजुकी जैसी कंपनियाँ पहले से ही अपने ईवी पोर्टफोलियो का विस्तार कर रही हैं।

टाटा मोटर्स ने नेक्सन ईवी और टिगोर ईवी जैसे मॉडल्स के साथ भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। महिंद्रा ने ईवेरिटो और ई2ओ प्लस जैसे ईवी लॉन्च किए हैं, जबकि एमजी मोटर इंडिया ने एमजी जेडएस ईवी पेश किया है। इन घरेलू कंपनियों ने टेस्ला के लिए किसी भी संभावित आयात शुल्क कटौती का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि यह उनके वर्षों के निवेश को प्रभावित कर सकता है।

भारत की टैरिफ नीति और ट्रम्प की आलोचना

डोनाल्ड ट्रम्प ने कई मौकों पर भारत को “टैरिफ किंग” कहा है और अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए ऊँचे आयात शुल्क की आलोचना की है। भारत बादाम, चेरी, क्रैनबेरी, सेब, छोले और अन्य वस्तुओं पर ऊँचा शुल्क लगाता है।

हाल ही में, भारत ने अपने वार्षिक बजट में कुछ टैरिफ कम किए, लेकिन ट्रम्प की “पारस्परिक टैरिफ” नीति अभी भी भारत के लिए एक चुनौती बनी हुई है। पिछले साल, एलन मस्क ने भारत की यात्रा की योजना बनाई थी, जिसे उन्होंने बाद में रद्द कर दिया था। उनकी यात्रा भारत सरकार द्वारा घोषित ईवी आयात शुल्क में कमी के बाद तय हुई थी, लेकिन टेस्ला के अधिकारियों और भारतीय अधिकारियों के बीच बातचीत ठप हो गई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि टेस्ला की तत्काल निवेश योजना नहीं थी।

टेस्ला की वैश्विक चुनौतियाँ भी इस बदलाव में भूमिका निभा सकती हैं। कंपनी ने चीन और यूरोप में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण डिलीवरी में गिरावट की सूचना दी थी। अब भारत का ईवी बाजार टेस्ला के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

टेस्ला की भारत में संभावनाएँ

भारत के ईवी बाजार का विस्तार, स्थानीय कंपनियों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा और वैश्विक व्यापार माहौल की अनिश्चितता के कारण टेस्ला के अगले कदमों पर सबकी नजर होगी। यह भर्ती अभियान क्या भारत में टेस्ला की गंभीर प्रतिबद्धता को दर्शाता है, या यह केवल अमेरिकी व्यापार वार्ताओं के जवाब में उठाया गया एक रणनीतिक कदम है, यह भविष्य में स्पष्ट होगा।

Latest news
Related news