एक जापानी पर्यटक द्वारा सुरक्षा गार्ड से “डोगेज़ा” करने की मांग करने की घटना ने सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। डोगेज़ा एक पारंपरिक जापानी विनम्रता का तरीका है, जिसमें व्यक्ति घुटनों के बल बैठकर सिर को ज़मीन पर झुकाता है, आमतौर पर माफ़ी मांगने या विनम्रता दिखाने के लिए। यह घटना 17 अप्रैल को एक्सपो 2025 ओसाका के प्रवेश द्वार पर हुई, जो एक्सपो के उद्घाटन के कुछ ही दिन बाद की बात है।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसमें देखा गया कि एक जापानी पर्यटक कार पार्किंग को लेकर असमंजस के चलते सुरक्षा गार्ड पर नाराज़ हो रहा है। वीडियो में वह गार्ड को डांटते हुए नजर आता है और फिर उससे डोगेज़ा करने की मांग करता है। सुरक्षा गार्ड, परिस्थितियों के दबाव में आकर, घुटने टेककर झुक जाता है और डोगेज़ा करता है।
क्या था विवाद का कारण
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पर्यटक पार्किंग स्थल के बारे में पूछताछ कर रहा था, लेकिन गार्ड उसे स्पष्ट दिशा-निर्देश देने में असमर्थ रहा। इसी बात से नाराज होकर उसने गार्ड से डोगेज़ा करने को कहा। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और इसके सार्वजनिक होने के बाद लोगों में नाराजगी फैल गई।
सोशल मीडिया पर बढ़ता आक्रोश
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस घटना को ‘कासुहारा’ यानी ग्राहक द्वारा कर्मचारी पर मानसिक या भावनात्मक अत्याचार करने का मामला बताया। कई लोगों ने इसे सिर्फ ग्राहक उत्पीड़न ही नहीं, बल्कि ज़बरदस्ती और अपराध की श्रेणी में रखा।
एक यूज़र ने लिखा, “एक समझदार व्यक्ति कभी किसी को डोगेज़ा करने के लिए मजबूर नहीं करेगा, खासकर तब जब वह सार्वजनिक रूप से हो।”
दूसरे ने कहा, “यह ग्राहक उत्पीड़न भी नहीं था। यह शुद्ध ज़बरदस्ती और अपराध है।”
वहीं एक तीसरे यूज़र ने थोड़ी सहानुभूति जताते हुए लिखा, “वह (गार्ड) भी शायद ज़िंदगी के दबाव में झुकने के लिए मजबूर हो गया था, एक साधारण इंसान जो बस अपना काम कर रहा था।”
आयोजकों की प्रतिक्रिया
एक्सपो 2025 ओसाका के आयोजकों ने कहा है कि वे इस पर्यटक के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की योजना नहीं बना रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि वे भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए ओसाका पुलिस के साथ मिलकर आवश्यक सुरक्षा और आचरण से संबंधित कदम उठाने की दिशा में काम करेंगे।
यह घटना न सिर्फ जापानी समाज में पारंपरिक शिष्टाचार की सीमाओं पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आधुनिक समय में ग्राहक और सेवा प्रदाता के बीच संबंध किस तरह असंतुलित हो सकते हैं। सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया इस बात की पुष्टि करती है कि लोग अब ऐसे अत्याचारों को चुपचाप सहने के लिए तैयार नहीं हैं।

